अब बात मध्यप्रदेश की महिदपुर विधानसभा की..चुनावी समीकरण और मुद्दों से पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर..
उज्जैन जिले में आती है विधानसभा सीट
कुल जनसंख्या करीब 2 लाख 50 हजार
कुल मतदाता-1 लाख 90 हजार 500
महिला मतदाता करीब 92 हजार
पुरुष मतदाता 98 हजार 500
वर्तमान में विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा
बहादुर सिंह चौहान हैं बीजेपी विधायक
सियासत
महिदपुर विधानसभा में बीजेपी मजबूत और कांग्रेस कमजोर दिखाई देती है..बीते चुनाव में जहां बीजेपी ने जीत दर्ज की थी..तो वहीं कांग्रेस तीसरे नंबर रही थी जबकि दूसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार..अब चुनाव नजदीक हैं तो एक बार फिर जीत-हार के गुणा-भाग में जुट गए हैं सियासी दल..
बीते चुनावी समर में बीजेपी का कमल खिला और कांग्रेस के हाथ खाली रहे….2013 के चुनाव में बीजेपी के बहादुर सिंह चौहान ने जीत दर्ज की और कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही जबकि निर्दलयी दूसरे नंबर पर..अब फिर चुनावी तैयारियां विधानसभा में दिखाई देने लगी हैं..वादों और दावों का दौर भी शुरु हो गया है इसके साथ ही विधायक की टिकट के दावेदार भी तोल ठोक रहे हैं..बात कांग्रेस की करें तो दावेदारों की फौज है..जिसमें पूर्व विधायक कल्पना परुलेकर का नाम सबसे आगे है..बीते चुनाव में निर्दलयी चुनाव लड़ चुके दिनेश जैन भी दावेदार हैं…इसके अलावा प्रताप गुर और अशोक नवलखा का नाम भी दावेदारों में शामिल है..अब बात बीजेपी की करें तो वर्तमान विधायक बहादुर सिंह चौहान टिकट की दौड़ में आगे नजर आ रहे हैं..इसके अलावा प्रदेश सरकार में मंत्री पारस जैन का नाम भी दावेदारों में शामिल है..तो वहीं भगवती प्रसाद जोशी और अनिल जैन भी टिकट की आस में हैं..इस बार चुनावी रण में आम आदमी पार्टी भी उतरने की तैयारी में है..बीजेपी-कांग्रेस की तरह ही आप में भी कई दावेदार हैं ।
मु्द्दे-
महिदपुर विधानसभा सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक मानी जाती है..वो इसलिए क्योंकि सिमी आतंकियों का गढ़ है ये विधानसभा…अपराध की सूची में भले विधानसभा का नाम सबसे ऊपर हो लेकिन विकास की लिस्ट में सबसे नीचे नाम आता है महिदपुर का..
सिमी के गढ़ के तौर पर बदनाम है महिदपुर..सिमी आंतकियों की स्लीपर सेल के मानी जाने वाली इस विधानसभा से एक नहीं कई सिमी आंतकियों की गिरफ्तारियां भी हुईं..यही वजह है की महिदपुर पर खुफिया एजेंसियों की निगाह रहती है..विकास के चश्मे से देखे तो इस विधानसभा में विकास की तस्वीर धुंधली नजर आती है..सड़कों की स्थिति बदहाल है..ग्रामीण इलाकों में सड़कें कहीं दिखाई ही नहीं देती..शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी बदहाल हैं।
स्कूलों में शिक्षकों की कमी अब तक पूरी नहीं हो सकी है..तो वहीं उच्च शिक्षण संस्थानों की भी कमी है..स्वास्थ्य सुविधाएं भी बदहाल है…शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ रोजगार की स्थिति भी ठीक नहीं है…रोजगार के साधनों के अभाव में बेरोजगार लोग पलायन को मजबूर हैं..इन सब समस्याओं के बीच किसान भी परेशान है..भावांतर जैसी योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंच ही नहीं पा रहा है ।
वेब डेस्क, IBC24
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