ननकीराम कंवर का बड़ा बयान, कहा - सभी घोटालों की जांच होनी चाहिए और जरुरी होने पर मुझे गवाह बना लें | Nankiram Kanwar's big statement, said - all scams should be investigated and make me a witness if necessary.

ननकीराम कंवर का बड़ा बयान, कहा – सभी घोटालों की जांच होनी चाहिए और जरुरी होने पर मुझे गवाह बना लें

ननकीराम कंवर का बड़ा बयान, कहा - सभी घोटालों की जांच होनी चाहिए और जरुरी होने पर मुझे गवाह बना लें

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:57 PM IST, Published Date : May 28, 2019/12:27 pm IST

कोरबा। कोरबा में डीएमएफ में हुए भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व गृहमंत्री व रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होने कहा कि मैं तो कहता हूूं कि भ्रष्टाचार से जुड़े जितने मामले है उनकी जांच होनी चाहिए। फिर जितने अधिकारी हो मंत्री हो उन्हें जेल भेजना चाहिए। घोटाले का आरोप बीजेपी के शासन काल में होने के सवाल पर कंवर ने साफ कहा कि मैं तो कह रहा हूं कि मंत्री हो या अधिकारी सबको जेल भेजना चाहिए।
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उन्होंने यह भी कहा कि जहां जरुरी हो मुझे गवाह बना लें। दरअसल पिछले दिनों आदिवासी विकास विभाग कोरबा के तत्कालीन सहायक आयुक्त श्रीकांत दुबे के खिलाफ एजुकेशन हब निर्माण व डीएमएफ की राशि में घोटाला किए जाने की एक शिकायत की गई थी। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग रायपुर के निर्देश पर जांच अधिकारी रहे जिले के पूर्व सहायक आयुक्त बीआर बंजारे ने एक जांच रिपोर्ट तैयार किया है।
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इस रिपोर्ट के मुताबित श्रीकांत दुबे के कार्यकाल में करोड़ों की गड़बड़ी उजागर हुई है। उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग तो किया ही है। उनके करीबी रहे आदिवासी विकास विभाग के लिपिक, लेखापाल यहां तक की भृत्य के पास भी करोड़ों की संपत्ति होने का अनुमान है। जांच रिपोर्ट के अनुसार एजुकेशन हब निर्माण के लिए टेंडर मैन्युअल पद्धति से जारी किया गया था। जिसकी विज्ञप्ति राष्ट्रीय स्तर पर नहीं दिया गया। तीसरे बिंदु के अनुसार मूल कार्य को एसओआर दर से 3.77 फीसदी कम दर पर 46.83 करोड़ रुपये स्वीकृत किया गया। कार्य में कॉटिजेंसी मद प्रावधानित किए बगैर व्यय किया गया, जिनमें मार्बल की खरीदी, वाहन किराया समेत अन्य के लिए अलग से व्यय किया गया। टेंडर में प्राप्त दर से स्वीकृत राशि के बचत अंतर की राशि का भी व्यय बिना सक्षम स्वीकृति के किया गया। निर्माण के उद्देश्य के विपरीत भवन सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑपᆬ प्लास्टिक्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सिपेट) के हवाले कर दिया गया व एजुकेशन हब परिसर में संचालित आदिवासी छात्रावास को भी सिपेट के लिए गेस्ट हाउस निर्माण के लिए बिना शासन की स्वीकृति के भूमि हस्तांतरित कर दी गई।
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इस तरह कई अनियमितता पर तैयार रिपोर्ट में कुल 11 बिंदु पर जांच कर प्रतिवेदन रायपुर मुख्यालय को प्रस्तुत किया गया है। इस रिपोर्ट में महालेखाकार रायपुर के लेखा परीक्षण अवधि दिसंबर 2016 से सितंबर 2018 में भी 334.12 लाख रुपये अधिक भुगतान होने की गंभीर वित्तीय अनियमितता पाए जाने की बात का जिक्र किया है।

 
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