कई सालों से पहचान के लिये तरस रहा था: शारिब हाशमी | Sharib Hashmi longed for identity for many years

कई सालों से पहचान के लिये तरस रहा था: शारिब हाशमी

कई सालों से पहचान के लिये तरस रहा था: शारिब हाशमी

कई सालों से पहचान के लिये तरस रहा था: शारिब हाशमी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:27 pm IST
Published Date: June 13, 2021 11:57 am IST

(कोमल पंचमटिया)

मुंबई, 13 जून (भाषा) वेब सीरीज ”द फैमिली मैन” में अभिनय से चर्चा में आए शारिब हाशमी का कहना है कि उन्होंने फिल्म जगत में पहचान बनाने के लिये कई वर्ष तक संघर्ष किया और आज उसके नतीजे देखकर उन्हें खुशी हो रही है।

अमेजन प्राइम वीडियो पर प्रसारित इस वेब सीरीज में खुफिया अधिकारी जे के तलपड़े का किरदार निभाने वाले हाशमी (45) का करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा। वह कहते हैं कि चार जून को वेब सीरीज के दूसरे सीजन के शुरुआत के बाद से उनके पास दर्शकों व फिल्म जगत की हस्तियों की ओर से बधाई संदेश और फोन कॉल की बाढ़ सी आ गई है।

हाशमी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में कहा, ”पहला सीजन बेंचमार्क स्थापित कर चुका था और यह हम सभी के लिए फायदेमंद साबित हुआ। पहले सीजन के लिए मुझे बहुत प्यार मिला, लेकिन इस बार प्रतिक्रिया जबरदस्त रही है। ऐसा मेरे करियर में पहली बार हो रहा है। मैं बेहद खुश हूं।”

उन्होंने कहा, ”मुझे उम्मीद नहीं थी कि यह मेरी उम्मीदों पर खरी उतरेगी। मैं बहुत भावुक महसूस कर रहा हूं। मैं वर्षों से पहचान के लिए तरस रहा था और मुझे खुशी है कि मुझे जेके के किरदार से यह अवसर मिला।”

हालांकि हाशमी के लिये यहां तक का सफर काफी लंबा रहा।

मुंबई में जाने-माने फिल्म पत्रकार जेड ए जोहर के यहां पैदा हुए हाशमी कहते हैं कि वह अपने पिता के साथ बॉलीवुड की पार्टियों में जाया करते थे, जहां से उन्हें फिल्म जगत को लेकर आकर्षण पैदा हुआ।

अभिनेता ने कहा, ‘बचपन में मैं अक्सर कहता था ‘मैं हीरो बनना चाहता हूं’। मुझे एक्टिंग और सब कुछ समझ में नहीं आता था। मैं पार्टियों और ‘मुहूर्त’ में जाता था, तब सब कुछ आकर्षक दिखाई देता था। मैं फिल्मी दुनिया में था और मैं इसका हिस्सा बनना चाहता था।’

हाशमी ने कहा कि फिल्मी दुनिया में जाने की उनकी इच्छा उनके इस विश्वास से कम हो गई थी कि वह एक हीरो बनने के लिए पर्याप्त लंबे नहीं हैं, लेकिन मनोरंजन के प्रति उनके प्यार ने उन्हें एक लेखक के रूप में टेलीविजन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा ‘जब मैं बड़ा हुआ, तब मेरी लंबाई पांच फुट चार इंच थी और मुझे लगा कि मैं हीरो नहीं बन सकता। लेकिन मैं इस क्षेत्र में कुछ करना चाहता था इसलिए मैंने एक सहायक निर्देशक के रूप में काम किया और एमटीवी तथा चैनल वी के लिए नॉन-फिक्शन शो लिखना शुरू किया।’

हाशमी ने अभिनय की शुरुआत ‘एमटीवी बकरा’ कार्यक्रम से की। इसके बाद उन्होंने फिल्म निर्माता डैनी बॉयल की ऑस्कर विजेता फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ में एक झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले की भूमिका निभाई।

‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के साथ, वर्ष 2008 में हाशमी की हिंदी फिल्म ‘हाल-ए-दिल’ रिलीज़ हुई, जिसके बाद उन्होंने अभिनय पर ही ध्यान केन्द्रित करने का फैसला किया। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और सक्रिय रूप से ऑडिशन देना शुरू कर दिया, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया।

उन्होंने कहा, ‘मेरे करियर में बहुत उतार-चढ़ाव आए हैं। मैंने अभिनय करने का फैसला किया और रोजाना ठुकराए जाने का सामना करना पड़ा। मैं आर्थिक रूप से बहुत खराब स्थिति में था और मेरी सारी बचत खत्म हो चुकी थी।।’

वित्तीय संकट ने हाशमी को एक लेखक के रूप में टेलीविजन पर लौटने के लिए मजबूर किया, लेकिन जल्द ही उन्हें यश चोपड़ा की 2012 की रोमांस ड्रामा ‘जब तक है जान’ में काम करने का प्रस्ताव मिला, और इसके बाद उसी वर्ष रिलीज हुई नितिन कक्कड़ की ‘फिल्मिस्तान’ में मुख्य भूमिका निभाई।

भले ही इन दोनों फिल्मों में हाशमी के अभिनय की सराहना की गई, लेकिन जिस पहचान के लिये वह बरसों से तरस रहे थे वह पहचान उन्हें 2019 में आए वेब सीरीज ‘द फैमिली मैन’ से मिली।

भाषा जोहेब नीरज

नीरज

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