फिल्म जगत को महसूस हुआ कि मैं केंद्रीय किरदार भी निभा सकती हूं : शेफाली शाह

फिल्म जगत को महसूस हुआ कि मैं केंद्रीय किरदार भी निभा सकती हूं : शेफाली शाह

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  • Publish Date - June 27, 2021 / 12:28 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 09:01 PM IST

(जस्टिन राव)

मुंबई, 27 जून (भाषा) अभिनेत्री शेफाली शाह ने कहा कि हाल में उन्होंने जिस तरह की पटकथाओं का चयन किया, उससे यह फायदा हुआ कि निर्देशक अब उन्हें अलग तरह की भूमिकाओं में देखने और मुख्य किरदारों को निभाने में उन पर भरोसा करने लगे हैं।

शाह मनोरंजन जगत में करीब दो दशक से हैं लेकिन 2010- 2020 के मध्य में उनके करियर में कुछ खास अच्छा नहीं हो रहा था, लेकिन 2017 में फिल्म निर्माता नीरज घेवान की शॉर्ट फिल्म ‘जूस’ ने उनके करियर को फिर से जीवंत कर दिया।

इसके बाद 2018 में आई फिल्म ‘वन्स अगेन’ में उनकी भूमिका को दर्शकों ने खूब सराहा और फिर 2019 में नेटफ्लिक्स की एमी पुरस्कार विजेता सीरिज ‘दिल्ली क्राइम’ ने उनके लिए मौके खोल दिए। वह इस साल की शुरुआत में आई ‘अजीब दास्तान्स’ के एक लघु फिल्म में भी नजर आईं।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वह फिल्म जगत में अपने प्रति नजरिए में बदलाव देख रही हैं। कभी यहां उन्हें मां के किरदार भर में समेट दिया गया था लेकिन अब निर्देशक उन्हें अलग तरह से देख रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मनोरंजन जगत अब मुझे नए तरह से देख रहा है। ओटीटी ने इसे और एक अलग मुकाम तक पहुंचाया। ‘जूस’, ‘वन्स अगेन’ और ‘दिल्ली क्राइम’ जिदगी के अहम बदलाव साबित हुए। ‘दिल्ली क्राइम’ से इस उद्योग को लगा कि वे मुझे केंद्रीय भूमिकाओं में रख सकते हैं।’’

‘अजीब दास्तान्स’ का उदाहरण देते हुए राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ने कहा कि अभिनेता-निर्देशक कायोज ईरानी ने जिस तरह से उन्हें रोमांटिक भूमिका में लिया, वह उनके खुद के लिए अचंभित कर देने वाला था। यह किरदार शादी से इतर प्रेम संबंध में बंध जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘ अगर लोग 48 साल की उम्र में मुझे मुख्य भूमिकाएं करते हुए देख सकते हैं और केंद्रीय भूमिका में रख सकते हैं, तो यह बहुत अच्छा है।’’

शाह ने 90 के दशक में दूरदर्शन के धारावाहिक ‘आरोहण’ से अपने करियर की शुरुआत की थी और इसके बाद वह ‘हसरतें’ और ‘बनेगी अपनी बात’ में नजर आई थी।

अभिनेत्री को करियर के शुरुआती दौर से ही उनके अभिनय के लिए सराहा गया। राम गोपाल वर्मा की 1998 की फिल्म ‘सत्या’ और इसके बाद मीरा नायर की फिल्म ‘मानसून वेडिंग’ में निभाई गई उनकी भूमिका की तारीफ हुई लेकिन फिर उनके हाथ दिलचस्प काम आने बंद हो गए।

उन्होंने 2005 में आई फिल्म ‘वक्त’ में अक्षय कुमार की मां का किरदार अदा किया, जो उनसे सिर्फ पांच साल बड़े हैं। इसके बाद उन्हें मां के किरदार में ही देखा जाने लगा। ‘गांधी, माय फादर’ और ‘कुछ लव जैसा’ से भी उन्हें करियर में मदद नहीं मिली।

जोया अख़्तर की फिल्म ‘दिल धड़कने दो’ में उनका किरदार एक ऐसी महिला का था, जो अपनी शादीशुदा जिंदगी में खुश नहीं होती है। उनकी इस भूमिका को सराहना भी मिली।

उन्होंने कहा कि कुछ समय के लिए करियर के खराब दौर से उन्हें चिढ़ भी होने लगी थी और सबसे बुरा यह था कि उनके काम को प्रशंसा तो मिल जाती थी लेकिन कभी आगे काम मिलने में इससे कुछ खास मदद नहीं मिल पाया।

शाह ने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब वह एक विषय पर काम खत्म कर रही हैं और जल्द ही दूसरे पर काम शुरू कर रही हैं। शाह ‘दिल्ली क्राइम’ के दूसरे सीजन में जल्द ही नजर आने वाली हैं।

भाषा स्नेहा नीरज

नीरज