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Stocks to Buy: ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म HSBC का मानना है कि दुनिया भर में आर्थिक अनिश्चितताओं और व्यापार तनाव के बीच भारत का शेयर बाजार स्थिर और मजबूत बना हुआ है। ब्रोकरेज के मुताबिक, एशिया और ग्लोबल इमर्जिंग मार्केट्स (GEM) से जुड़ी फंड्स ने भारत में अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी शुरू कर दी है और वे अब अंडरवेट पोजिशन से बाहर निकल रहे हैं। हालांकि, बाकी ग्लोबल निवेशक अब भी थोड़ा सतर्क रुख अपनाये हुए हैं।
ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि डॉलर की गिरती ताकत और महंगाई में आ रही नरमी की वजह से आने वाले समय में भारत में विदेशी निवेश का प्रवाह और तेज हो सकता है। निवेशकों को ये फैक्टर भारतीय बाजार में आकर्षित कर रहे हैं, जिस कारण मार्केट सेंटीमेंट में भी सुधार देखने को मिल रहा है।
पहली तिमाही के नतीजों को लेकर HSBC ने सकारात्मक राय दी है। FTSE India (कमोडिटी को छोड़कर) के EPS में सालाना आधार पर 10% की वृद्धि हुई है, जो पिछले चार तिमाहियों की सिंगल डिजिट ग्रोथ से बेहतर है। इंडस्ट्रियल्स, हेल्थकेयर और टेलीकॉम जैसे सेक्टरों ने शानदार प्रदर्शन किया है, जबकि कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी सेगमेंट ने रिटेल और सर्विसेज की मदद से 14% की ग्रोथ दर्ज की है। हालांकि FMCG सेक्टर में नरमी रही और बैंकिंग व IT सेक्टर में तेजी भी सीमित रही। HSBC का मानना है कि पूरी तरह से टिकाऊ कमाई में सुधार आने में अभी कुछ तिमाहियां तक और इंतजार करना पड़ सकता है।
इस माहौल में HSBC ने ऐसे शेयरों को प्राथमिकता दी है जो स्ट्रक्चरल मजबूती या स्पेसिफिक पॉजिटिव ट्रिगर्स के कारण से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं-
यूनाइटेड फॉस्फोरस लिमिटेड (UPL): बेहतर मार्जिन, ग्रोथ की संभावना और कर्ज में कमी से शेयर में सुधार की उम्मीद।
गेल (GAIL): क्लीन एनर्जी की डिमांड और गैस टैरिफ में संभावित बढ़ोतरी से मीडियम टर्म में फायदे की उम्मीद।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (GCPL): घरेलू कीट-नाशक कारोबार में बढ़त और इनोवेशन में मजबूती।
उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक और HDFC लाइफ: ब्याज दरों में नरमी का फायदा इन फाइनेंशियल स्टॉक्स को मिल सकता है।
वहीं, HSBC ने एशियाई पोर्टफोलियो में भारत को ‘न्यूट्रल’ कैटेगरी में रखा है और 2025 के अंत तक सेंसेक्स के लिए 82,240 का लक्ष्य तय किया है।
नोट:- शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन होता है। शेयरों, म्यूचुअल फंड्स और अन्य वित्तीय साधनों की कीमतें बाजार की स्थितियों, आर्थिक परिस्थितियों और अन्य कारकों के आधार पर घट-बढ़ सकती हैं। इसमें पूंजी हानि की संभावना भी शामिल है। इस जानकारी का उद्देश्य केवल सामान्य जागरूकता बढ़ाना है और इसे निवेश या वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।