#स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप 2022 : जांजगीर जिले की रेणुका चंद्रा ने 12वीं में किया टॉप, अब बनना चाहती है IAS, सीएम भूपेश ने किया सम्मानित

#स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप 2022 : जांजगीर जिले की रेणुका चंद्रा ने 12वीं में किया टॉपः Renuka Chandra of Janjgir district topped in 12th

#स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप 2022 : जांजगीर जिले की रेणुका चंद्रा ने 12वीं में किया टॉप, अब बनना चाहती है IAS, सीएम भूपेश ने किया सम्मानित
Modified Date: November 29, 2022 / 07:19 pm IST
Published Date: July 7, 2022 7:46 pm IST

अपने सामाजिक सरोकारो को निभाते हुए IBC24 समाचार चैनल हर साल स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप सम्मान से जिले की टॉपर बेटियों को सम्मानित करता है। इस वर्ष भी प्रदेश टॉपर बेटी-बेटियों को IBC24 स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप से सम्मानित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से आयोजित बोर्ड परीक्षा में जांजगीर जिले की रेणुका चंद्रा ने अपना परचम लहराया है। संस्कार अंग्रेजी माध्यम हायर सेकेंडरी स्कूल जैजैपुर की पढ़ने वाली रेणुका चंद्रा ने कड़ी मेहनत से बायो ग्रुप में 479 अंक हासिल कर जिले में पहला स्थान प्राप्त किया है। उनके इस मेहनत के लिए IBC24 समाचार चैनल की ओर से स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप प्रदान किया जा रहा है।

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दिल्ली यूनिवर्सिटी से करूंगी ग्रेजुएशन, फिर बनूंगी आईएएसः रेणुका

रेणुका कहती है कि जितना पढ़ो उसे पूरे मनोयोग से पढ़ो। किसी विषय को गहराई से समझो और एक-एक टॉपिक को पढ़ो। घंटों में पढ़ाई करने से सिर्फ सतही पढ़ाई हो सकती है। किसी विषय में ज्यादा समय भी लग सकता है और किसी में कम भी। समय की नाप करके पढ़ाई करेंगे तो यह थकान पैदा करेगी। मन लगा, मनोयोग से विषय को बारीकी से समझते हुए पढ़ेंगे और तनावमुक्त ढंग से आगे बढ़ेंगे तो याद भी रहेगा और थकान से भी बचा जा सकता है। मेरा पढ़ने का यह तरीका रहा है। 10वीं कक्षा में जब 2 वर्ष पूर्व टॉप किया था, तब भी मेरी स्ट्रेटजी यही थी। मेरा यकीन सेल्फ स्टडी में कोचिंग से ज्यादा है। इसलिए मैंने कभी कोचिंग नहीं ली। इसका अर्थ यह नहीं कि मैंने शिक्षकों से बात ही नहीं की। बल्कि मैं उनसे सदा मार्गदर्शन लेती रही। स्कूल टीचर्स ने मुझे समय-समय पर बताया किस विषय के साथ कैसे आगे बढ़ो। पढ़ाई को कभी भी इकट्ठा नहीं करना चाहिए। यह तरीका बोझिल होता है। दबावपूर्ण होता है। इसलिए मैंने रोज एक रफ्तार से पढ़ाई की। यह रफ्तार ऐसी रही कि मुझे एग्जाम टाइम में कोई दबाव नहीं आया। अब मैं आगे डीयू (दिल्ली यूनिवर्सिटी) में दाखिला लेकर ग्रेजुएशन करूंगी। मुझे अखिल भारतीय सेवाओं में जाना है। पापा विज्ञान के सरकारी शिक्षक हैं मम्मी भी एक निजी विद्यालय में शिक्षक हैं। इस कारण मेरे घर में पढ़ाई का माहौल शुरू से ही है। यह मेरे लिए मददगार सिद्ध हुआ। आईबीसी-24 की स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप हम बेटियों के प्रोत्साहन मकसद से शुरू की गई सराहनीय पहल है।

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लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।