भागवत कथा करने का अधिकार सभी हिंदुओं को : काशी विद्वत परिषद

भागवत कथा करने का अधिकार सभी हिंदुओं को : काशी विद्वत परिषद

भागवत कथा करने का अधिकार सभी हिंदुओं को : काशी विद्वत परिषद
Modified Date: June 27, 2025 / 12:30 pm IST
Published Date: June 27, 2025 12:30 pm IST

वाराणसी, 27 जून (भाषा) उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में जाति के नाम पर कथा वाचकों की कथित पिटाई और दुर्व्यवहार के मामले में काशी विद्वत परिषद ने शुक्रवार को कहा कि भागवत कथा करने का अधिकार सभी हिंदुओं को है।

इटावा जिले के दंदारपुर गांव में 22-23 जून की दरमियानी रात को भागवत कथा करने वाले दो वाचकों मुकुट मणि यादव और उनके सहयोगी संत सिंह यादव का कथित तौर पर ‘ऊंची जाति’ के लोगों ने मुंडन कर दिया और उन्हें अपमानित किया गया।

कथा वाचकों के यादव जाति के होने से मामले को लेकर सूबे की सियासत गर्मा गयी।

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काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने मामले पर कहा कि भागवत कथा करने का अधिकार सभी हिन्दुओं को है।

द्विवेदी ने कहा, “हमारी सनातन परम्परा में ऐसे तमाम गैर ब्राह्मण लोग हुए हैं, जिनकी गणना ऋषि के रूप में की गयी है। इनमें चाहे महर्षि वाल्मीकि, वेदव्यास हों या रविदास हों, सनातन परम्परा में सभी को सम्मान और आदर प्राप्त हुआ है।”

उन्‍होंने कहा, “भागवत कथा करने का अधिकार सभी हिन्दुओं को है और किसी भी हिन्दू को इससे रोका नहीं जा सकता।”

द्विवेदी ने कहा, “जो शास्त्रों को जानते हैँ, भक्ति भाव, सत्यनिष्ठ, ज्ञानवान और जानकार हैं, उन्हें कथा कहने का अधिकार है, जो ज्ञानी है, वही पंडित या ब्राह्मण कहलाने का अधिकारी है।”

उन्होंने कहा कि कुछ लोग राजनितिक लाभ के लिए हिन्दुओं को आपस में लड़ाना चाहते हैं, हिन्दुओं को इस बात को समझना चाहिए और आगे इस तरह की गलती नहीं दोहराई जानी चाहिए।

द्विवेदी ने यह भी कहा कि इटावा में जिस तरह से कानून का उलंघन किया गया, अगर यह सत्य है तो प्रशासन को निष्पक्ष जांच कर संवैधानिक तरीके से काम करना चाहिए और दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

संपूर्णनंद संस्कृत विविद्यालय के कुलपति प्रोफसर बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि कथावाचन के लिए शास्त्रों में जाति के आधार पर कोई भेद नहीं है।

उन्होंने कहा कि कोई भी योग्य व्यक्ति कथा वाचन कर सकता है और ज्ञान का जाति के आधार पर कोई भेद नहीं है।

शर्मा ने कहा, “ज्ञान सबको एक समान देखता है। सभी में ईश्वर का वास है इसलिए सभी एक समान है। किसी में कोई भेद नहीं है। जिनका आचरण शुद्ध है, जिन्हें शास्त्रों का ज्ञान है, वे सभी ब्राह्मण हैं। ”

भाषा सं आनन्द मनीषा जितेंद्र

जितेंद्र


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