Rahul gandhi: राहुल गांधी को हाईकोर्ट से मिला झटका! सेना पर टिप्पणी मामले में जारी समन को रोकने की याचिका खारिज
HC dismisses Rahul Gandhi's plea : ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान सेना के बारे में उनकी कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ शिकायत पर अधीनस्थ अदालत के समन को चुनौती दी गई थी।
India alliance protest News/Image Source- IBC24 File
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने समन आदेश और शिकायत को दी थी चुनौती
- ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान सेना के बारे में की कथित अपमानजनक टिप्पणी
- भारतीय सेना के बारे में कथित रूप से कई अपमानजनक टिप्पणियां कीं
लखनऊ: Rahul gandhi news, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस याचिका को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया, जिसमें ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान सेना के बारे में उनकी कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ शिकायत पर अधीनस्थ अदालत के समन को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की लखनऊ पीठ ने यह आदेश पारित किया और कहा कि वह सोमवार तक विस्तृत आदेश जारी करेगी।
इससे पहले, गांधी की याचिका का विरोध करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता वीके शाही, सरकारी वकील वीके सिंह और अतिरिक्त सरकारी वकील अनुराग वर्मा सहित राज्य के वकीलों के एक समूह ने जोर देकर कहा था कि याचिका उच्च न्यायालय में विचारणीय नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता के पास सत्र अदालत के समक्ष समन आदेश को चुनौती देने का वैकल्पिक उपाय है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने समन आदेश और शिकायत को दी थी चुनौती
HC dismisses Rahul Gandhi’s plea, उन्होंने यह भी कहा कि शिकायत और गवाहों के बयान के आधार पर प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ अपराध का पता चलता है। गांधी ने समन आदेश और शिकायत को चुनौती देते हुए तर्क दिया था कि यह दुर्भावनापूर्ण मंशा के तहत दायर किया गया है।
भारतीय सेना के बारे में कथित रूप से कई अपमानजनक टिप्पणियां कीं
शिकायतकर्ता उदय शंकर श्रीवास्तव ने यहां एक अदालत में दायर अपनी याचिका में आरोप लगाया कि दिसंबर 2022 की यात्रा के दौरान गांधी ने चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष के संदर्भ में भारतीय सेना के बारे में कथित रूप से कई अपमानजनक टिप्पणियां कीं। कांग्रेस नेता के अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल की दलील थी कि परिवाद पत्र को पढ़ने से ही आरोप मनगढ़ंत किस्म के प्रतीत हो रहे हैं।
उन्होंने यह भी दलील दी कि राहुल गांधी लखनऊ के निवासी नहीं हैं लिहाजा उक्त परिवाद पर उन्हें तलब किए जाने से पहले आरोपों की सत्यता को लेकर अदालत को जांच करनी चाहिए थी व प्रथम दृष्टया आरोप सुनवाई योग्य पाए जाने पर ही उन्हें तलब किया जाना चाहिए था। हालांकि उच्च न्यायालय ने इन दलीलों को अस्वीकार कर दिया।
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