कांग्रेस ने आपातकाल ‘थोपकर’ संविधान का गला दबाने का कार्य किया : मुख्यमंत्री योगी

कांग्रेस ने आपातकाल ‘थोपकर’ संविधान का गला दबाने का कार्य किया : मुख्यमंत्री योगी

कांग्रेस ने आपातकाल ‘थोपकर’ संविधान का गला दबाने का कार्य किया : मुख्यमंत्री योगी
Modified Date: December 22, 2025 / 03:58 pm IST
Published Date: December 22, 2025 3:58 pm IST

लखनऊ, 22 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि जब राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के शताब्दी महोत्सव का अवसर आया तब कांग्रेस ने देश के अंदर आपातकाल ‘थोपकर’ संविधान का गला दबाने का कार्य किया।

योगी ने शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन में वंदे मातरम पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा, “वंदे मातरम का सम्मान न केवल एक भावनात्मक अभिव्यक्ति है, बल्कि अपने संवैधानिक मूल्यों के प्रति राष्ट्रीय कर्तव्यों का बोध भी हम सबको कराता है।”

उन्होंने कहा, “यह राष्ट्र की आत्मा, संघर्ष और संकल्प का भी प्रतीक है। जब वंदे मातरम अपनी रजत जयंती मना रहा था तब देश में ब्रिटिश हुकूमत थी।”

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योगी ने कहा, “वंदे मातरम की रचना उस समय हुई थी, जब भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद बौखलाया हुआ ब्रिटिश हुकूमत दमन और अत्याचार की पराकाष्ठा पर पहुंच गया था और भारतीयों को यातनाएं दी जा रही थीं।”

नेता सदन ने कहा कि उस समय देश की आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाने का मंच कांग्रेस थी और 1896 में पहली बार कांग्रेस के अधिवेशन में रविंद्र नाथ टैगोर ने इसे अपना स्‍वर प्रदान किया था और यह पूरे देश के लिए एक मंत्र बन गया था।

उन्‍होंने कहा, “लेकिन जब वंदे मातरम के शताब्दी महोत्सव का अवसर आया तब जिस कांग्रेस के मंच से पहली बार वंदे मातरम का गान हुआ था, उस कांग्रेस ने देश के अंदर (1975 में) आपातकाल थोपकर संविधान का गला दबाने का कार्य किया।”

योगी आदित्‍यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की साकार होती परिकल्पना का जिक्र करते हुए कहा, “आज 150 वर्ष वंदे मातरम के पूरे हो रहे हैं तो प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के आभारी हैं, जिनके नेतृत्‍व में भारत पूरे आत्‍मविश्‍वास के साथ एक विकसित भारत की संकल्पना के साथ आगे बढ़ा है।”

उन्होंने कहा, “जब हम वंदे मातरम की बात करते हैं तो हम सबके लिए एक गीत मात्र नहीं बल्कि यह हमारे देश के अंदर स्वतंत्रता संग्राम की चेतना, उसका उद्घोष और भारत के क्रांतिकारियों के प्रति सच्ची भावना है।”

भाषा आनन्द जितेंद्र

जितेंद्र


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