लखनऊ, सात सितंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने लखीमपुर खीरी निवासी मोहम्मद फैयाज मंसूरी के खिलाफ लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) को रद्द कर दिया है। अदालत ने संबधित अधिकारियों को आदेश दिया है कि यदि मंसूरी किसी अन्य मामले में वांछित न हों तो उसे तत्काल जेल से रिहा कर दिया जाये।
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति सरोज यादव की पीठ ने मंसूरी की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया। अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार ने याची का प्रत्यावेदन निस्तारित करने में देरी की और इस आधार पर निरूद्ध आदेश खारिज होने योग्य है।
आरोपी ने पांच अगस्त 2020 को फेसबुक पर बाबरी मस्जिद को लेकर कथित तौर पर भड़काऊ टिप्पणी की थी, इस पर लखीमपुर खीरी के मुहम्मदी थाने में मंसूरी के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे आठ अगस्त 2020 को जेल भेज दिया गया। बाद में उस पर रासुका भी लगा दिया।
याची के अधिवक्ता सुशील कुमार सिंह का तर्क था कि रासुका लगाने में तकनीकी गलती की गयी जिस कारण निरूद्ध आदेश अवैध हो गया, लिहाजा मंसूरी के खिलाफ रासुका आदेश खारिज करते हुए उसे तत्काल रिहा किया जाये।
भाषा सं आनन्द शफीक
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)