विशेषज्ञों ने चीन-पाकिस्तान से बढ़ते साइबर खतरे को लेकर सुरक्षित डिजिटल बुनियादी ढांचे पर दिया जोर
विशेषज्ञों ने चीन-पाकिस्तान से बढ़ते साइबर खतरे को लेकर सुरक्षित डिजिटल बुनियादी ढांचे पर दिया जोर
लखनऊ, 20 अगस्त (भाषा) साइबर विशेषज्ञों ने चीन और पाकिस्तान से बढ़ते साइबर खतरे के प्रति आगाह करते हुए भारत को तेजी से सुरक्षित डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार करने की सलाह दी।
उत्तर प्रदेश फोरेंसिक विज्ञान संस्थान (यूपीएसआईएफएस) में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतिम दिन विशेषज्ञों ने साइबर सुरक्षा व कृत्रिम मेधा (एआई) से लेकर जीनोम मैपिंग, वंशावली डेटाबेस और फोरेंसिक न्याय तक के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, साइबर विशेषज्ञों ने चीन और पाकिस्तान से बढ़ती घुसपैठ के प्रति आगाह किया तथा देश को तेजी से सुरक्षित डिजिटल बुनियादी ढांचा बनाने की सलाह दी।
महाराष्ट्र के प्रधान सचिव ब्रजेश सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि छोटी-छोटी घटनाएं भी बड़े व्यवधान पैदा कर सकती हैं।
उन्होंने हिजबुल्लाह पेजर हमले और मैलवेयर हमले का उदाहरण दिया, जिसकी वजह से भारत के सबसे बड़े बंदरगाह जेएनपीटी (जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट) को तीन महीने तक बंद करना पड़ा था।
सिंह ने साइबर खतरे व पुलिसिंग के वैश्विक परिदृश्य को लेकर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि दुनिया में आज छोटा सा परिवर्तन बहुत बड़ा प्रभाव ला सकता है और हिज्बुल्ला पेजर अटैक इसका उदाहरण है।
ऑस्ट्रेलिया के साइबर विशेषज्ञ रॉबी अब्राहम ने वर्चुअल माध्यम से पैनल चर्चा में जुड़कर हैकिंग की बदलती प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि पहले प्रोग्रामिंग, स्क्रिप्टिंग, ओएस, नेटवर्किंग प्रोटेकॉल,शेलकोड राइटिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल होता था।
अब्राहम ने विभिन्न मैलवेयर की जानकारी देते हुए बताया कि फिलीपीन के एक छात्र ने ‘आई लव यू वॉर्म’ बनाया था, जिसे ईमेल से फैलाया गया और विश्व को इससे 8.7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ।
भाषा सलीम जितेंद्र
जितेंद्र

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