18 जातियां अनुसूचित जाति की सूची से बाहर, हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, नोटिफिकेशन रद्द |

18 जातियां अनुसूचित जाति की सूची से बाहर, हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, नोटिफिकेशन रद्द

जानकारी के मुताबिक समाजवादी पार्टी और योगी सरकार के शासन काल के दौरान इन 18 जातियों को ओबीसी से हटाकर एससी में शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी हुआ था।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:20 PM IST, Published Date : September 1, 2022/8:50 am IST

18 castes of OBC in the category of SC: इलाहाबाद । हाई कोर्ट ने ओबीसी की 18 जातियों को एससी की कैटेगरी में शामिल करने का नोटिफिकेशन रद्द कर दिया है। सपा के अलावा योगी सरकार ने भी इन जातियों को एससी कैटेगिरी में शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी किया था। जानकारी के मुताबिक समाजवादी पार्टी और योगी सरकार के शासन काल के दौरान इन 18 जातियों को ओबीसी से हटाकर एससी में शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी हुआ था।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

हाईकोर्ट ने 24 जनवरी 2017 को इन जातियों को सर्टिफिकेट जारी करने पर रोक लगाई थी। इन जातियों में मझवार, कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमान, बाथम, तुरहा गोडिया, मांझी और मछुआ जातियां शामिल हैं। दरअसल याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी थी कि किसी जाति को एससी, एसटी या ओबीसी में शामिल करने का अधिकार सिर्फ देश की संसद को है।

read more: Chhattisgarhi News: बिहनिया ले जानव प्रदेस के हाल छत्तीसगढ़ी में | हमर बानी हमर गोठ | 01 Sep 2022

18 castes of OBC in the category of SC: इसके पहले अखिलेश यादव सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में 22 दिसंबर 2016 को नोटिफिकेशन जारी कर 18 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। अखिलेश सरकार की तरफ से जिले के सभी डीएम को आदेश जारी किया गया था कि इस जाति के सभी लोगों को ओबीसी की बजाय एससी का सर्टिफिकेट दिया जाए।

read more: अस्पताल पहुंची राखी सावंत, इस चीज की करवाई सर्जरी, जानें कैसी है हालत

बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 24 जनवरी 2017 को इस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी। 24 जून 2019 को यूपी की योगी सरकार ने एक बार फिर से नया नोटिफिकेशन जारी किया इन जातियों को ओबीसी से हटाकर एससी कैटेगिरी में डालने का नोटिफिकेशन जारी किया था। हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई थी कि अनुसूचित जातियों की सूची भारत के राष्ट्रपति द्वारा तैयार की गई थी। इसमें किसी तरह के बदलाव का अधिकार सिर्फ देश की संसद को है। राज्यों को इसमें किसी तरह का संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं है।

देश दुनिया की बड़ी खबरों के लिए यहां करें क्लिक