सिख गुरुओं का इतिहास भक्ति और वीरता का अनूठा संगम है : योगी

सिख गुरुओं का इतिहास भक्ति और वीरता का अनूठा संगम है : योगी

सिख गुरुओं का इतिहास भक्ति और वीरता का अनूठा संगम है : योगी
Modified Date: December 26, 2025 / 04:33 pm IST
Published Date: December 26, 2025 4:33 pm IST

(तस्वीरों सहित)

लखनऊ, 26 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वीर बाल दिवस’ के मौके पर कहा कि सिख गुरुओं का इतिहास भक्ति और वीरता का एक अनोखा एवं शानदार संगम है।

सिख गुरुओं के बलिदान को याद करते हुये, आदित्यनाथ ने कहा कि मुगल शासक औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को चुनौती देकर गलती की, क्योंकि ‘आज कोई भी औरंगज़ेब का नाम नहीं लेता, लेकिन 140 करोड़ लोग सिख गुरुओं के आभारी हैं।’’

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उन्होंने यह बात हर साल 26 दिसंबर को मनाए जाने वाले ‘वीर बाल दिवस’ के मौके पर आयोजित ‘कीर्तन समागम’ को संबोधित करते हुए कही।

यहां कालिदास मार्ग पर स्थित मुख्यमंत्री सरकारी आवास पर हुए इस कार्यक्रम में साहिब श्री गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत वर्षगांठ भी मनाई गई।

एक आधिकारिक बयान में मुख्यमंत्री के हवाले से कहा गया है, ‘‘भारत में सिख गुरुओं का इतिहास भक्ति एवं शक्ति की असाधारण चमक का है।’’

उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव ने भक्ति की पराकाष्ठा को अपनाया और ऐसे समय में मानवता के लिए काम किया जब संसाधन बहुत सीमित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘साधनों की कमी के बावजूद, उन्होंने ज्ञान प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक अनुशासन की शक्ति का प्रदर्शन किया और पाखंड के खिलाफ आवाज़ उठाई।’’

मुगल शासकों की आलोचना करते हुए योगी ने कहा, ‘‘जहांगीर ने गुरु अर्जनदेव पर बर्बरता की लेकिन वह गुरु तेगबहादुर के तेज के सामने वह चल नहीं पाया। उन्होंने कहा, ‘गुरुओं का बलिदान देश और धर्म के लिए था।’

मुख्यमंत्री ने कहा कि 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाना देश को चार ‘साहिबजादों’ के बलिदान और शहादत के प्रति सम्मान व्यक्त करने का अवसर देता है।

‘साहिबजादों’ से मतलब गुरु गोबिंद सिंह के बेटों – अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह – से है।

योगी ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर पर एक पोस्ट में कहा “जो बोले सो निहाल! सत् श्री अकाल!”

उन्होंने कहा, ‘‘जब हम स्वदेश और स्वधर्म को प्राथमिकता देते हैं, तब वह हमारी गति को प्रगति की तरफ लेकर जाता है। सिख गुरुजनों का इतिहास इसी प्रगति का प्रमाण है।’’

भाषा आनन्द रंजन माधव

माधव


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