कांग्रेस और सपा के चरित्र में ‘राजनीतिक ईमानदारी का अभाव’: मायावती का आरोप

कांग्रेस और सपा के चरित्र में ‘राजनीतिक ईमानदारी का अभाव’: मायावती का आरोप

कांग्रेस और सपा के चरित्र में ‘राजनीतिक ईमानदारी का अभाव’: मायावती का आरोप
Modified Date: October 16, 2025 / 04:11 pm IST
Published Date: October 16, 2025 4:11 pm IST

लखनऊ, 16 अक्टूबर (भाषा) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के चरित्र में ‘राजनीतिक ईमानदारी का अभाव’ है और केवल बसपा ही हाशिए पर पड़े समुदायों की भलाई और उनके संवैधानिक अधिकारों के लिए ईमानदारी से समर्पित है।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई की एक विशेष बैठक को संबोधित करते हुए मायावती ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं से 2027 के राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारियों में अपनी पूरी ऊर्जा और संसाधन लगाने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि पार्टी का लक्ष्य ‘राजनीतिक सत्ता की मास्टर कुंजी’ हासिल करना और सामाजिक एवं आर्थिक मुक्ति की अपनी विरासत को जारी रखना है।

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बयान के मुताबिक, बसपा नेता ने कांशीराम जी की 19वीं पुण्यतिथि के अवसर पर नौ अक्टूबर को लखनऊ में विशाल राज्य स्तरीय आयोजन की ‘ऐतिहासिक सफलता’ के लिये उत्तर प्रदेश के सभी छोटे-बड़े पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं आदि को हार्दिक बधाई दी।

इस विशाल आयोजन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न ट्रेन, निजी बसों, छोटे वाहनों और यहां तक कि पैदल आए लाखों लोगों की ऐतिहासिक भीड़ ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया।

मायावती ने कहा, ‘‘हालांकि, प्रतिद्वंद्वी दलों के नेता, जो आमतौर पर रैलियों के लिए भीड़ इकट्ठा करते हैं, ने यह आरोप लगाकर तुच्छ राजनीति की कि इस आयोजन के लिए सरकारी बसों का इंतजाम किया गया था, जिससे उनकी हताशा जाहिर होती है।’’

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने बसपा की उस लिखित मांग को स्वीकार करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के प्रति आभार भी व्यक्त किया जिसमें कहा गया था कि बसपा शासन के दौरान निर्मित और लखनऊ में पर्यटन स्थल के रूप में विकसित स्मारकों और पार्कों की टिकटों की बिक्री से प्राप्त राजस्व का उपयोग उनके रखरखाव के लिए किया जाए।

मायावती ने कहा, ‘‘यह बसपा की राजनीतिक ईमानदारी और सद्भावना को दर्शाता है, ऐसे मूल्य जिनकी समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस जैसी पार्टियां कद्र नहीं कर सकतीं क्योंकि राजनीतिक ईमानदारी उनके चरित्र का हिस्सा ही नहीं है।’

उन्होंने पूर्ववर्ती सपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसकी ‘जातिवादी मानसिकता’ के कारण ही उसने बसपा सरकार के दौरान बनाए गए स्मारकों की उपेक्षा की और बहुजन समुदाय के महान संतों, गुरुओं और समाज सुधारकों के सम्मान में स्थापित कई नए जिलों, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों के नाम बदल दिए।

मायावती ने कहा, ‘‘अगर उन्होंने ऐसा ना किया होता और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को अप्रभावी ना बनाया होता, तो शायद उनका नाम इतिहास के काले पन्नों में दर्ज होने से बच जाता, ठीक दो जून, 1995 के कुख्यात ‘राज्य अतिथि गृह कांड’ की तरह। लेकिन आज भी उनमें पश्चाताप की कमी है, आज भी वे राजनीतिक द्वेष, छल और बेईमानी के अलावा और कुछ नहीं दर्शाते।’’

बयान के मुताबिक, मायावती ने कहा कि रिश्वतखोरी, छल-कपट, हेराफेरी और गुप्त मिलीभगत जैसे हथकंडे अपनाना बसपा के चरित्र का हिस्सा नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी राजनीति एक खुली किताब की तरह है, स्वच्छ, पारदर्शी और ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ के सिद्धांत के प्रति प्रतिबद्ध।’’

उन्होंने कहा कि बसपा नीले आसमान तले खुली और ईमानदार राजनीति में विश्वास रखती है, चाहे वह समर्थन में हो या विरोध में।

भाषा जफर मनीषा संतोष

संतोष


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