नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर रोक की मीयाद बढ़ी, अगली सुनवाई 20 दिसम्बर को

नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर रोक की मीयाद बढ़ी, अगली सुनवाई 20 दिसम्बर को

Modified Date: December 14, 2022 / 05:15 pm IST
Published Date: December 14, 2022 5:15 pm IST

लखनऊ, 14 दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर 12 दिसम्बर को लगाई गई रोक 20 दिसम्बर तक जारी रखने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति डी. के. उपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार पर नगर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने के आरोप संबंधी एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया ।

राज्य सरकार ने जवाबी हलफनामा देने के लिए तीन दिन का समय देने की मांग की, जिसे न्यायालय ने मंजूर कर लिया।

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गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को नगर निकाय चुनाव कराने की अधिसूचना जारी करने पर मंगलवार तक अंतरिम रोक लगा दी थी।

यह आदेश न्यायमूर्ति डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने वैभव पांडेय एवं अन्य याचिकाकर्ताओं की अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पारित किया था।

याचिकाकर्ताओं ने पांच दिसंबर, 2022 की अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसमें राज्य ने सोमवार शाम तक आरक्षण तय करने पर आपत्ति मांगी थी।

याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार पर नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप लगाया है। उनकी ओर से कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने इसी साल सुरेश महाजन के मामले में दिये गये निर्णय में स्पष्ट तौर पर आदेश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाएगा और यदि ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता नहीं की जा सकी है तो अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति ( एसटी) सीटों के अलावा बाकी सभी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए, चुनाव कराए जाएंगे।

याचिका में आरोप लगाया गया कि शीर्ष अदालत के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बावजूद राज्य सरकार ने बिना ट्रिपल टेस्ट के पांच दिसम्बर 2022 को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को भी शामिल किया गया।

याचिका का राज्य सरकार ने विरोध करते हुए कहा कि इससे चुनाव कराने में देरी होगी। उसने यह दलील भी दी कि पांच दिसम्बर की अधिसूचना एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन है, याचिकाकर्ता या जो भी व्यक्ति इससे असंतुष्ट हैं, वे आपत्तियां दाखिल कर सकते हैं।

बहरहाल, अदालत राज्य सरकार की इस दलील से संतुष्ट नहीं हुई और चुनावी अधिसूचना के साथ-साथ पांच दिसम्बर 2022 की मसविदा अधिसूचना पर भी अंतरिम रोक लगा दी।

भाषा सं सलीम

राजकुमार

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