Mahant Digvijaynath Death Anniversary : कौन हैं ये महंत दिग्विजयनाथ? राम मंदिर आंदोलन में था बड़ा योगदान, CM योगी भी करते हैं जिक्र
Mahant Digvijaynath Death Anniversary: Who is this Mahant Digvijaynath? There was a big contribution in Ram Mandir movement, CM Yogi also mentions this.
54th death anniversary of Mahant Digvijaynath
54th death anniversary of Mahant Digvijaynath : गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि महंत दिग्विजयनाथ ने वर्ष 1949 में श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला के ‘प्रकटीकरण’ के जरिये तत्कालीन सरकार की ‘कुत्सित मंशा’ को नाकाम किया और वह राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समेत देश में हिंदुत्व से जुड़े लगभग सभी बड़े आंदोलनों का अहम हिस्सा रहे।
54th death anniversary of Mahant Digvijaynath : मुख्यमंत्री ने गोरक्षपीठ के पूर्व प्रमुख महंत दिग्विजयनाथ की 54वीं पुण्यतिथि पर यहां आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महंत दिग्विजयनाथ ने ”धार्मिक जागरण के लिए श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन का वर्ष 1949 में श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला के प्रकटीकरण के माध्यम से तत्कालीन सरकार की कुत्सित मंशा को असफल करते हुए श्रीगणेश किया था।”
सीएम ने कहा कि ऐसा कोई आंदोलन नहीं था, जिसका वह (दिग्विजयनाथ) हिस्सा नहीं रहे हों। वर्ष 1920 से वर्ष 1969-70 तक देश के अंदर राष्ट्र जागरण और हिंदुत्व से जुड़ा हुआ कोई मुद्दा हो, कोई धार्मिक आंदोलन हो, कोई सांस्कृतिक जागरण का अभियान हो, शैक्षिक जगत से जुड़ा हुआ कोई बड़ा अभियान हो, देश एवं हिंदू समाज के हित में धर्म के मार्ग का अनुसरण करते हुए आयोजित हो रहा कोई भी आंदोलन या अभियान हो, हर किसी में महंत दिग्विजयनाथ जी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
योगी ने कहा कि आज यह हमारा सौभाग्य है कि गोरखपुर और उसके द्वारा संचालित संस्थाएं अपने आचार्य ब्रह्मदेव महंत दिग्विजयनाथ की प्रेरणा और उनके आशीर्वाद से न केवल बौद्धिक प्रगति की दिशा में निरंतर अग्रसर हो रही हैं, बल्कि जिन मूल्यों और सिद्धांतों के लिए उन्होंने अपना भौतिक देह समर्पित किया था, उन्हीं के लिए कार्य करते हुए वे आगे भी बढ़ रही हैं।
योगी ने कहा कि आज यह हमारा सौभाग्य है कि गोरखपुर और उसके द्वारा संचालित संस्थाएं अपने आचार्य ब्रह्मदेव महंत दिग्विजयनाथ की प्रेरणा और उनके आशीर्वाद से न केवल बौद्धिक प्रगति की दिशा में निरंतर अग्रसर हो रही हैं, बल्कि जिन मूल्यों और सिद्धांतों के लिए उन्होंने अपना भौतिक देह समर्पित किया था, उन्हीं के लिए कार्य करते हुए वे आगे भी बढ़ रही हैं।

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