मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए दुधवा व कतर्निया के जंगलों में लगेंगी आधुनिक 'एनाइडर डिवाइस' |

मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए दुधवा व कतर्निया के जंगलों में लगेंगी आधुनिक ‘एनाइडर डिवाइस’

मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए दुधवा व कतर्निया के जंगलों में लगेंगी आधुनिक 'एनाइडर डिवाइस'

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:17 PM IST, Published Date : July 20, 2022/10:04 pm IST

बहराइच (उप्र), 20 जुलाई (भाषा) दुधवा टाइगर रिजर्व व कतर्नियाघाट वन्यजीव अभ्यारण से सटे रिहायशी इलाकों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम तथा वन्यजीवों को मानव बस्तियों में जाने से रोकने के लिए वन विभाग जंगल तथा रिहायशी इलाकों के बीच खास तरह की ध्वनि व रौशनी विस्तारक, अत्याधुनिक तकनीक से लैस ‘‘एनाइडर डिवाइस’’ लगाने जा रहा है।

दुधवा टाइगर रिजर्व के क्षेत्र निदेशक (फील्ड डायरेक्टर) संजय कुमार पाठक ने बुधवार को पीटीआई-भाषा से बताया कि मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम व नियंत्रण के लिए जंगलों से गांवों को जाने वाले रास्तों पर अभी तक बाड़ लगाई जा रही थी। उन्होंने कहा ‘‘लेकिन बाड़ ना तो इसका स्थाई हल था और ना ही हाथी, बाघ व तेंदुए सरीखे बड़े जानवरों को बाड़ द्वारा जंगल से बाहर जाने से रोका जा सकता था।’’

उन्होंने बताया कि कयारी नाम की एक भारतीय कंपनी ने इस पर शोध शुरू किया और पांच साल के सघन शोध व परीक्षण के उपरान्त तैयार उपकरण को केरल व उत्तराखंड राज्यों में लगाया गया।

पाठक ने बताया ‘‘केरल व उत्तराखंड के जिन इलाकों में यह उपकरण लगाया गया है वहां इसका प्रभाव 86 फीसदी है। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश के जंगलों में इस उपकरण को लगाने की तैयारी की गयी है।’’

उन्होंने बताया कि प्रायोगिक तौर पर दुधवा, कतर्निया जंगल के बफर जोन से सटे गांवों की सीमा पर वन विभाग इन उपकरणों को लगा रहा है।

पाठक ने बताया कि ‘‘एनाइडर डिवाइस’’ कहलाने वाले इस उपकरण की कीमत करीब 24 हजार रूपये है और किसान इसे अपने निजी खर्च पर भी लगा सकते हैं।

उन्होंने बताया कि यह उपकरण सौर ऊर्जा संचालित सेंसर प्रणाली है जिससे नौ तरह की रोशनी और 32 प्रकार की आवाजें निकलती हैं।

अधिकारी ने बताया ‘‘जंगली जानवर ज्यों ही उपकरण के 100 मीटर के दायरे में पहुंचता है, वह सेंसर की रेंज में आ जाता है और फिर इससे स्वचालित ढंग से रोशनी व आवाजें निकलने लगती हैं। इससे घबरा कर जंगली जानवर फिर जंगल की ओर लौट जाते हैं।’’

क्षेत्र निदेशक ने बताया कि जंगली जानवर इन आवाजों के अभ्यस्त ना हो जाएं इसके लिए समय समय पर आवाजें और रोशनी स्वतः बदलती रहती है। साथ ही सौर ऊर्जा संचालित होने के कारण इनको बिजली कनेक्शन देने की भी जरूरत नहीं है।

पाठक ने बताया कि बीते पांच वर्षों में दुधवा व कतर्निया जंगल व इसके आसपास के इलाकों में वन्यजीवों के हमलों में 25 लोगों की मौत हुई तथा दर्जन भर से अधिक लोग घायल हुए हैं। वहीं ग्रामीणों के हमलों में इस दौरान चार तेंदुए मारे गये हैं।

भाषा सं जफर प्रशांत मनीषा शफीक

शफीक

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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