बंदी को मारने और जेलर को धमकी देने के 23 साल पुराने मामले में मुख्तार अंसारी बरी |

बंदी को मारने और जेलर को धमकी देने के 23 साल पुराने मामले में मुख्तार अंसारी बरी

बंदी को मारने और जेलर को धमकी देने के 23 साल पुराने मामले में मुख्तार अंसारी बरी

:   Modified Date:  March 28, 2023 / 12:20 AM IST, Published Date : March 28, 2023/12:20 am IST

लखनऊ, 27 मार्च (भाषा) लखनऊ जेल में बंद रहने के दौरान मुख्तार अंसारी व उसके गुर्गो द्वारा एक बंदी को मारने पीटने तथा जेलर व उप जेलर को धमकी देने के 23 साल पुराने मामले में सांसद-विधायक अदालत (एमपी-एमएलए अदालत) ने आरोपी माफिया पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी और उसके साथियों को साक्ष्‍य के अभाव में बरी कर दिया है।

सांसद-विधायक अदालत के विशेष अपर मुख्‍य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) अंबरीश कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने सोमवार को यह फैसला दिया।

अदालत ने अपने निर्णय में कहा है कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में असफल रहा है। इस मामले में आरोपी लालजी यादव, कल्लू पंडित, युसूफ चिश्ती एवं आलम के विरुद्ध 17 अगस्त, 2021 को आरोप तय किए गए थे जबकि मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 28 मार्च, 2022 को आरोप तय किए गए थे। अदालत ने साक्ष्‍य के अभाव में मुख्तार अंसारी व उसके साथियों लालजी यादव, कल्लू पंडित, यूसुफ चिश्ती व आलम को बरी कर दिया।

पत्रावली के अनुसार, घटना की शिकायत जेलर एसएन द्विवेदी व उप जेलर बैजनाथ राम ने एक अप्रैल, 2000 को लखनऊ के आलमबाग थाना में दर्ज कराई थी। उसमें कहा गया था कि 29 मार्च, 2000 को शाम करीब छह बजे पेशी से वापसी के बाद जब बंदी जेल में जा रहे थे, उसी समय माफिया विधायक मुख्तार अंसारी अपने साथियों युसूफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित, प्रभु जिंदर सिंह एवं लालजी यादव के साथ कैदी चांद के बैरक में घुस गया और उसे मारना शुरू कर दिया।

आरोप था कि जब जेलर व उप जेलर ने चांद को बचाने का प्रयास किया तो आरोपियों ने जेल के अधिकारियों व प्रधान बंदी रक्षक स्वामी दयाल अवस्थी पर हमला बोल दिया। यह भी आरोप था कि अलार्म बजने पर पर आरोपी पथराव करते हुए अपने-अपने बैरक में चले गए तथा दोनों जेल अधिकारियों को धमकी दी थी कि उन्हें व उनके परिवार को जान से मार दिया जाएगा।

भाषा सं आनन्द अर्पणा

अर्पणा

 

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