NFHS report 2021: बढ़ रहा कंडोम का इस्तेमाल, लेकिन ‘मर्दानगी’ वाली सोच से परेशान हैं औरतें

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण NFHS के ताजा आंकड़ों में इसबार उत्तर प्रदेश को लेकर भी कई सकारात्मक तथ्य सामने आए हैं। यूपी की साक्षरता, लैंगिक अनुपात, बच्चों के स्कूल जाने से जुड़े आंकड़े या स्वास्थ्य संबंधी तथ्य प्रदेश की प्रगति को दिखाने वाले हैं।

NFHS report 2021: बढ़ रहा कंडोम का इस्तेमाल, लेकिन ‘मर्दानगी’ वाली सोच से परेशान हैं औरतें

NFHS report 2021

Modified Date: November 29, 2022 / 08:22 pm IST
Published Date: November 26, 2021 6:26 pm IST

नईदिल्ली। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण NFHS के ताजा आंकड़ों में इसबार उत्तर प्रदेश को लेकर भी कई सकारात्मक तथ्य सामने आए हैं। यूपी की साक्षरता, लैंगिक अनुपात, बच्चों के स्कूल जाने से जुड़े आंकड़े या स्वास्थ्य संबंधी तथ्य प्रदेश की प्रगति को दिखाने वाले हैं। वहीं, जनसंख्या नियंत्रण को लेकर किए जाने वाले उपायों के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन पुरुष बंध्याकरण का डेटा आज भी कमजोर है।

सर्वे के आंकड़ों पर गौर करें तो यूपी के पुरुष आज भी नसबंदी कराने से हिचकते हैं, पुरुषों की ‘मर्दानगी’ बचाने की यही सोच महिलाओं को परेशान करती है। हालांकि परिवार नियोजन के लिए नसबंदी कराने के कुल आंकड़ों में कमी आई है, लेकिन गांवों में इसके प्रति रुझान में वृद्धि हुई है।

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NFHS report 2021:  के मुताबिक 2015-16 के मुकाबले यूपी में परिवार नियोजन के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है, 5 साल पहले के सर्वेक्षण में जहां उत्तर प्रदेश में परिवार नियोजन का कोई भी तरीका इस्तेमाल कराने वालों की संख्या 45.5% थी, वहीं 2020-12 में यह बढ़कर 62.4% हो गई है। नियोजन के लिए आधुनिक तरीका इस्तेमाल करने वालों की संख्या भी बढ़ी है।

5 साल पहले 31.7 फीसदी के मुकाबले इस बार के सर्वे में पता चला है कि 44.5 प्रतिशत लोग परिवार नियोजन के लिए आधुनिक तरीके अपना रहे हैं। परिवार नियोजन के लिए नसबंदी कराने के आंकड़ों पर गौर करें तो आज भी प्रदेश में पुरुष काफी पीछे हैं, नसबंदी कराने में महिलाएं आगे हैं।

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परिवार में कम बच्चे हों, इसके लिए महिलाएं ज्यादा सोचती हैं, हालांकि 2015-16 के मुकाबले महिलाओं की नसबंदी के आंकड़ों में एक फीसदी की कमी आई है, लेकिन पुरुष अब भी ‘लकीर के फकीर’ बने हुए हैं। NFHS की रिपोर्ट पर गौर करें तो 5 साल पहले महिलाओं की नसबंदी का आंकड़ा जहां 17.3 फीसदी था, वहीं यह अब 16.9 फीसद रह गया है, इनमें भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं नसबंदी कराने में शहरी औरतों से आगे हैं।

शहरों में 13.5 और गांवों में 18 फीसदी महिलाएं नसबंदी करा रही हैं। पुरुषों के आंकड़े पर गौर करें तो यह चिंतित करने वाला है, पुरुष नसबंदी के आंकड़ों में पिछले 5 साल के दौरान कोई बदलाव नहीं आया है, यह तब भी 0.1 प्रतिशत था, अब भी इसी दर्जे पर बना हुआ है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com