उप्र: भारत-नेपाल सीमा पर जाली परमिट के माध्यम से बसों के संचालन के मामले में जांच शुरू

उप्र: भारत-नेपाल सीमा पर जाली परमिट के माध्यम से बसों के संचालन के मामले में जांच शुरू

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  • Publish Date - July 16, 2025 / 05:35 PM IST,
    Updated On - July 16, 2025 / 05:35 PM IST

लखनऊ, 16 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने भारत-नेपाल सीमा पर निजी बस संचालकों द्वारा कूटरचित (जाली) परमिट के माध्यम से बसों के संचालन के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच शुरू कर दी। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि विभाग ने समग्र जांच के लिए राज्य पुलिस से भी आग्रह किया है।

परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने सशस्त्र सीमा बल को सूचित किया कि कई बस चालकों ने नेपाल सीमा पर ऐसे परमिट प्रस्तुत किए, जो सतही रूप से संभागीय परिवहन प्राधिकरण द्वारा जारी प्रतीत हो रहे थे लेकिन जांच में यह पूर्णतः जाली पाए गए।

उन्होंने बताया कि अब तक तीन जिलों (अलीगढ़, बागपत और महराजगंज) में स्पष्ट रूप से जाली परमिट की पुष्टि हो चुकी है और यहां संबंधित एआरटीओ ने प्रमाणित किया कि ऐसा कोई परमिट कार्यालय से जारी नहीं किया गया।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गोरखपुर, इटावा एवं औरैया जैसे जिलों में भी ऐसे परमिट प्रस्तुत किए गए, जो प्रथम दृष्टया भारत-नेपाल यात्री परिवहन समझौता, 2014 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।

गोरखपुर प्रकरण में विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

परिवहन आयुक्त ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर तीन जिलों में दर्ज प्रकरणों की जांच विशेष कार्य बल (एसटीएफ) से कराने का अनुरोध किया।

भारत-नेपाल यात्री यातायात समझौता, 2014 के अनुसार नेपाल की यात्रा के लिए यात्रियों के साथ निजी बस संचालन का परमिट केवल गंतव्य देश के दूतावास द्वारा ही जारी किया जा सकता है।

परिवहन आयुक्त ने पत्र लिखकर भारत सरकार से अनुरोध किया कि विदेश मंत्रालय, भारतीय एवं नेपाली दूतावासों द्वारा जारी सभी ‘फार्म सी’ परमिट की सूची सभी प्रवर्तन एजेंसियों को समय पर साझा करें।

भाषा राजेंद्र जितेंद्र

जितेंद्र