सपनों को पूरा करने के लिए युवाओं को विदेश जाने की जरूरत नहीं : राजनाथ सिंह

सपनों को पूरा करने के लिए युवाओं को विदेश जाने की जरूरत नहीं : राजनाथ सिंह

सपनों को पूरा करने के लिए युवाओं को विदेश जाने की जरूरत नहीं : राजनाथ सिंह
Modified Date: January 11, 2025 / 07:40 pm IST
Published Date: January 11, 2025 7:40 pm IST

मेरठ, 11 जनवरी (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को यहां कहा कि आज युवाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए विदेश जाने की जरूरत नहीं है।

सिंह ने आईआईएमटी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में कोई भी काम छोटे मन से न करें, बल्कि मन बड़ा रखें क्योंकि मन बड़ा होगा तो सुख और आनंद की प्राप्ति होगी।

सिंह ने कहा, “आज अगर अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर भारत कुछ बोलता है तो सारी दुनिया कान खोलकर सुनती है कि भारत बोल क्या रहा है। हमारे देश के हीरो हमारे युवा हैं। कोरोना महामारी में हमने चुनौतियों को एक अवसर के रूप में देखा जिससे भारत स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनकर लगातार आगे बढ़ रहा है।”

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दीक्षांत समारोह में राजनाथ सिंह का स्वागत आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगेश मोहन गुप्ता, प्रति कुलाधिपति डॉ. मयंक अग्रवाल ने किया।

राजनाथ सिंह ने विद्यार्थियों को जीवन में सफलता के लिए तीन पी यानि ‘पेशेंस, पर्सिस्टेंस औऱ प्रीजर्वेंस’ का मंत्र दिया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही अगर आप में प्रतिभा है, दृढ़ इच्छाशक्ति है, स्पष्ट दृष्टि और कठिन परिश्रम करने की क्षमता है तो कोई भी आपको आगे बढ़ने से रोक नहीं सकता।

उन्होंने कहा कि अच्छे विचार के साथ आने वाले विद्यार्थियों के लिए संसाधनों और अवसरों की कमी नहीं है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “आज सेना से जुड़े उपकरण भारत की धरती पर भारत के लोगों और वैज्ञानिको द्वारा बनाए जा रहे हैं। हम उनका केवल उपयोग ही नहीं कर रहे हैं बल्कि दुनिया के दूसरे देशों को भी निर्यात करने का कार्य कर रहे हैं। एक लाख 30 हजार स्टार्टअप देश में काम कर रहे हैं। आज भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है।”

सिंह ने समारोह में 25 मेधावियों को गोल्ड मेडल, प्रमाण-पत्र और उपाधियां प्रदान कीं।

इसके अलावा, दीक्षांत समारोह में तीन सत्रों के 275 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल के साथ प्रमाण-पत्र और उपाधियां दी गईं।

करीब चार हजार विद्यार्थियों को विभिन्न पाठ्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर उपाधियां वितरित की गईं।

भाषा सं आनन्द जितेंद्र

जितेंद्र


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