एआई एजेंट 2025 में बने हकीकत, 2026 में चुनौतियां बरकरार
एआई एजेंट 2025 में बने हकीकत, 2026 में चुनौतियां बरकरार
(थॉमस सरबेन वॉन डेवियर, कॉरनेगी मेल/न यूनिवर्सिटी )
पिट्सबर्ग, 30 दिसंबर (द कन्वरसेशन) कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में 2025 एक निर्णायक मोड़ के रूप में उभरा, जब शोध प्रयोगशालाओं और प्रोटोटाइप तक सीमित प्रणालियां रोजमर्रा के औजारों के तौर पर सामने आने लगीं। इस बदलाव के केंद्र में एआई एजेंटों का उदय रहा—ऐसी एआई प्रणालियां जो अन्य सॉफ्टवेयर टूल का उपयोग कर सकती हैं और स्वायत्त रूप से काम कर सकती हैं।
हालांकि एआई पर 60 से अधिक वर्षों से शोध हो रहा है और ‘एजेंट’ शब्द लंबे समय से प्रचलन में है, लेकिन 2025 वह साल रहा जब यह अवधारणा डेवलपर्स और उपभोक्ताओं के लिए ठोस रूप में सामने आई। एआई एजेंट सिद्धांत से आगे बढ़कर बुनियादी ढांचे का हिस्सा बने और बड़े भाषा मॉडल्स के साथ लोगों की बातचीत का तरीका बदल दिया, जो चैटजीपीटी जैसे चैटबॉट्स को शक्ति देते हैं।
2025 में एआई एजेंट की परिभाषा में भी बदलाव आया। अकादमिक दृष्टि से ‘देखने, सोचने और कार्रवाई करने’ वाली प्रणालियों से हटकर, एआई कंपनी एंथ्रॉपिक ने इसे ऐसे बड़े भाषा मॉडल के रूप में परिभाषित किया जो सॉफ्टवेयर टूल का उपयोग कर सकें और स्वायत्त कार्रवाई कर सकें। हालिया बदलाव इन मॉडलों की ‘एक्शन क्षमता’ का विस्तार है—टूल्स का इस्तेमाल, एपीआई कॉल करना, अन्य प्रणालियों से समन्वय और स्वतंत्र रूप से कार्य पूरे करना।
यह परिवर्तन अचानक नहीं हुआ। 2024 के अंत में एंथ्रॉपिक द्वारा मॉडल कॉन्टेक्स्ट प्रोटोकॉल जारी किया गया, जिसने डेवलपर्स को बड़े भाषा मॉडलों को बाहरी टूल्स से मानकीकृत तरीके से जोड़ने की सुविधा दी। इसके साथ ही 2025 को एआई एजेंटों का वर्ष बनने का आधार तैयार हुआ।
2025 की प्रमुख उपलब्धियां
जनवरी में चीनी मॉडल डीपसीक-आर1 के ओपन-वेट मॉडल के रूप में जारी होने से उच्च प्रदर्शन वाले भाषा मॉडल विकसित करने को लेकर धारणाएं बदलीं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा तेज हुई। वर्ष भर ओपनएआई, एंथ्रॉपिक, गूगल और एक्सएआई जैसी अमेरिकी प्रयोगशालाओं ने बड़े और उच्च-प्रदर्शन मॉडल जारी किए, जबकि अलीबाबा, टेनसेंट और डीपसीक सहित चीनी कंपनियों ने ओपन-मॉडल इकोसिस्टम का विस्तार किया।
अप्रैल में गूगल ने एजेंट2एजेंट प्रोटोकॉल पेश किया, जो एजेंटों के आपसी संचार पर केंद्रित है। बाद में एंथ्रॉपिक और गूगल—दोनों ने अपने-अपने प्रोटोकॉल लिनक्स फाउंडेशन को दे दिए, जिससे ये खुले मानक के रूप में स्थापित हुए।
इन प्रगतियों का असर उपभोक्ता उत्पादों में भी दिखा। 2025 के मध्य तक ‘एजेंटिक ब्राउज़र’ सामने आए, जिनमें पर्प्लेक्सिटी का कॉमेट, ब्राउज़र कंपनी का डाया, ओपनएआई का जीपीटी एटलस, माइक्रोसॉफ्ट एज का कोपायलट, फेलू, जेनस्पार्क और ओपेरा नियॉन शामिल हैं। इन टूल्स ने ब्राउज़र को निष्क्रिय इंटरफेस से सक्रिय सहभागी के रूप में पेश किया—जो खोज से आगे बढ़कर कार्य पूरा करने में भी मदद करते हैं।
— नई ताकत, नए जोखिम —
एजेंटों की क्षमता बढ़ने के साथ जोखिम भी सामने आए। नवंबर में एंथ्रॉपिक ने बताया कि उसके क्लॉड कोड एजेंट का दुरुपयोग साइबर हमले के कुछ हिस्सों को स्वचालित करने में किया गया। इससे यह चिंता गहरी हुई कि एआई एजेंट तकनीकी और दोहराव वाले कार्यों को स्वचालित कर दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों की बाधाएं भी कम कर सकते हैं।
— 2026 में क्या रहेगा फोकस —
आगे देखते हुए, कई खुले सवाल अगले चरण को आकार देंगे। एक अहम मुद्दा बेंचमार्क का है। पारंपरिक बेंचमार्क एकल मॉडलों के लिए उपयुक्त हैं, लेकिन एजेंट—मॉडल, टूल, मेमोरी और निर्णय-तर्क का संयोजन होते हैं। ऐसे में केवल परिणाम नहीं, बल्कि प्रक्रियाओं के मूल्यांकन की जरूरत बढ़ेगी।
शासन (गवर्नेंस) भी प्रमुख विषय रहेगा। 2025 के अंत में लिनक्स फाउंडेशन ने एजेंटिक एआई फाउंडेशन की घोषणा की, जिसका उद्देश्य साझा मानक और सर्वोत्तम प्रथाएं स्थापित करना है।
— आगे की चुनौतियां —
उत्साह के बावजूद, सामाजिक-तकनीकी चुनौतियां बनी हुई हैं। डेटा सेंटर विस्तार से ऊर्जा ग्रिड पर दबाव और स्थानीय समुदायों पर असर पड़ रहा है। कार्यस्थलों में स्वचालन, रोजगार विस्थापन और निगरानी को लेकर चिंताएं हैं। सुरक्षा के लिहाज से, टूल्स से जुड़े और एक-दूसरे पर निर्भर एजेंट जोखिम बढ़ाते हैं, खासकर अप्रत्यक्ष प्रॉम्प्ट इंजेक्शन जैसे खतरों के कारण।
नियमन भी अनसुलझा मुद्दा है। यूरोप और चीन की तुलना में अमेरिका में एल्गोरिदमिक प्रणालियों पर निगरानी सीमित है। जैसे-जैसे एआई एजेंट डिजिटल जीवन में गहराई से जुड़ते जाएंगे, पहुंच, जवाबदेही और सीमाओं से जुड़े सवाल और अहम होंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए केवल तकनीकी नवाचार पर्याप्त नहीं होंगे। इसके लिए सख्त इंजीनियरिंग प्रथाएं, सावधानीपूर्ण डिजाइन और प्रणालियों का स्पष्ट दस्तावेज़ीकरण जरूरी है, ताकि एआई इकोसिस्टम नवाचारी होने के साथ सुरक्षित भी बन सके।
(द कन्वरसेशन ) मनीषा नरेश
नरेश

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