यूएनएससी में भारत ने ‘मुक्त और नियम-आधारित’ समुद्री व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई

यूएनएससी में भारत ने 'मुक्त और नियम-आधारित' समुद्री व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई

यूएनएससी में भारत ने ‘मुक्त और नियम-आधारित’ समुद्री व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई
Modified Date: August 12, 2025 / 05:07 pm IST
Published Date: August 12, 2025 5:07 pm IST

संयुक्त राष्ट्र, 12 अगस्त (भाषा) भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की चर्चा में ‘मुक्त, खुली और नियम-आधारित’ समुद्री व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए रेखांकित किया कि समुद्री सुरक्षा एक सामूहिक चुनौती है जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मांग करती है।

विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने सोमवार को समुद्री सुरक्षा पर यूएनएससी की उच्च स्तरीय चर्चा में हिंद महासागर क्षेत्र के लिए सूचना संलयन केंद्र (आईएफसी-आईओआर), ई-समुद्र, समुद्र प्रचेत, आईओएस सागर, ‘डीप ओशन मिशन’ तथा हिंद-प्रशांत और उससे परे मजबूत नौसैन्य सहयोग जैसी प्रमुख पहल पर प्रकाश डाला।

लाल ने कहा, ‘भारत यूएनसीएलओएस (समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन) के सिद्धांतों के अनुरूप मुक्त, खुली और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।’

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उन्होंने कहा कि समुद्री सुरक्षा और समृद्धि की सामूहिक चुनौतियों का सामना करने के लिए वास्तविक अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एक ज़िम्मेदार समुद्री शक्ति के रूप में, भारत इन संयुक्त प्रयासों में योगदान देने के लिए तत्पर है।

लाल ने कहा, ‘समुद्री सुरक्षा हमारी सामूहिक चुनौती है और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।’

उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार, ऊर्जा आपूर्ति और संचार केबल के लिए समुद्री मार्गों की अहमियत को देखते हुए तथा दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते भारत की इस विषय में मजबूत हिस्सेदारी एवं रुचि है।

उन्होंने समुद्री सुरक्षा के लिए भारत के दृष्टिकोण ‘महासागर’ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और मानवीय सहायता तथा आपदा राहत कार्यों में सहयोग कर रही है और मदद के लिए सबसे पहले कदम उठाने वालों में से एक है।

लाल ने कहा, ‘चुनौतियों की सामूहिक प्रकृति और आवश्यक संयुक्त प्रतिक्रिया को समझते हुए, हम अपने साझेदारों, विशेष रूप से ‘ग्लोबल साउथ’ के साझेदारों के साथ मिलकर काम करते हैं।’

‘ग्लोबल साउथ’ का संदर्भ दुनिया के आर्थिक रूप से कमजोर देशों के लिए दिया जाता है।

समुद्री पर्यावरण संरक्षण और सतत प्रयासों में भारत की पहल का उल्लेख करते हुए लाल ने कहा कि पिछले महीने भारत ने स्वदेशी रूप से निर्मित प्रदूषण नियंत्रण पोत ‘‘समुद्र प्रचेत’ का जलावतरण किया।

भाषा आशीष सिम्मी

सिम्मी


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