बीएनपी ने म्यांमा के रखाइन के लिए सहायता गलियारा खोलने के ढाका के समझौते पर ‘‘गंभीर चिंता’’ जताई

बीएनपी ने म्यांमा के रखाइन के लिए सहायता गलियारा खोलने के ढाका के समझौते पर ‘‘गंभीर चिंता’’ जताई

बीएनपी ने म्यांमा के रखाइन के लिए सहायता गलियारा खोलने के ढाका के समझौते पर ‘‘गंभीर चिंता’’ जताई
Modified Date: April 29, 2025 / 02:11 pm IST
Published Date: April 29, 2025 2:11 pm IST

ढाका, 29 अप्रैल (भाषा) बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की इस घोषणा पर ‘‘गंभीर चिंता’’ व्यक्त की है कि ढाका ने म्यांमा के रखाइन राज्य में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए मानवीय गलियारा खोलने पर सैद्धांतिक रूप से सहमति व्यक्त कर दी है।

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने सोमवार को एक जनसभा में कहा कि सरकार को इस प्रकार का ‘‘बड़ा निर्णय’’ लेने से पहले सभी राजनीतिक दलों से परामर्श करना चाहिए था क्योंकि इससे ‘‘भविष्य में हमारी स्वतंत्रता, संप्रभुता और स्थिरता तथा क्षेत्र की शांति’’ का प्रश्न जुड़ा है।

आलमगीर ने कहा, ‘‘इस खबर ने हमें चिंतित कर दिया है।’’

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अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार एम तौहीद हुसैन ने रविवार को घोषणा की थी कि ढाका ने म्यांमा सरकार के सैनिकों और विद्रोही अराकान सेना में जारी गृहयुद्ध के बीच रखाइन को सहायता भेजने के लिए बांग्लादेश के माध्यम से एक मानवीय गलियारा स्थापित करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर शर्तों के साथ सैद्धांतिक सहमति व्यक्त की है।

उन्होंने शर्तों के बारे में विस्तार से बताने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘मैं विस्तार से नहीं बताऊंगा (लेकिन) अगर शर्तें पूरी होती हैं तो हम निश्चित रूप से सहायता प्रदान करेंगे।’’

आलमगीर ने कहा, ‘‘हम दूसरा गाजा नहीं बनना चाहते… हम एक और युद्ध में शामिल नहीं होना चाहते। हम नहीं चाहते कि कोई यहां आकर हमारे लिए और परेशानी खड़ी करे। हम पहले से ही रोहिंग्या से जुड़ी एक गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि बीएनपी को संकट में फंसे लोगों की मदद करने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श की आवश्यकता है क्योंकि ‘‘हम नहीं चाहते कि कोई हमारे क्षेत्र में आकर नयी परेशानियां खड़ी करे।’’

बीएनपी की यह प्रतिक्रिया इन खबरों के बीच आई है कि अराकान सेना की क्रूरता से बचने के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में रोहिंग्या बांग्लादेश में घुसपैठ कर रहे हैं।

भाषा सिम्मी मनीषा

मनीषा


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