ब्रिटेन में भारत समेत इन देशों के नागिरकों को कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा, रिसर्च में हुआ ये चौकानें वाला खुलासा 

ब्रिटेन में भारत समेत इन देशों के नागिरकों को कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा । Citizens of these countries including India in Britain

ब्रिटेन में भारत समेत इन देशों के नागिरकों को कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा, रिसर्च में हुआ ये चौकानें वाला खुलासा 
Modified Date: November 29, 2022 / 08:21 pm IST
Published Date: December 3, 2021 9:27 pm IST

लंदन, तीन दिसंबर (भाषा) भारतीयों सहित दक्षिण एशियाई मूल के लोग उन जातीय समूहों में शामिल हैं जिन्हें कोविड-19 से संक्रमित होने और गंभीर रूप से प्रभावित होने का खतरा अधिक है। यह बात ब्रिटेन सरकार द्वारा अधिकृत एक समीक्षा में शुक्रवार को सामने आयी। ‘कोविड-19 स्वास्थ्य असमानता’ शीर्षक वाले अध्ययन में पाया गया कि ब्रिटेन में अश्वेत और दक्षिण एशियाई जातीय समूह के लोगों की कोरोना वायरस से जान गंवाने की दर श्वेतों की तुलना में अभी भी अधिक है। साथ ही इसमें यह भी पता चला कि टीकाकरण दर, व्यवसाय आदि भी इस अंतर के कारकों में शामिल है।

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अद्यतन विश्लेषण पहले उल्लेखित उन आंकड़ों की पुष्टि करता है कि श्वेत ब्रिटिश समूहों की तुलना में अश्चेत अफ्रीकी, अश्वेत कैरेबियाई, बांग्लादेशी और पाकिस्तानी जातीय समूहों के लोगों को कोविड-19 से मृत्यु का अधिक खतरा है।

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ब्रिटेन की सरकार द्वारा कोविड-19 पर नियुक्त स्वतंत्र सलाहकार डॉ. आर. अली, वरिष्ठ क्लीनिकल रिसर्च एसोसिएट, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, सलाहकार एक्यूट मेडिसिन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स ने कहा, ‘‘पहली दो लहरों में, जातीय अल्पसंख्यकों में देखी गई उच्च मृत्यु दर मुख्य रूप से श्वेतों की तुलना में उनके संक्रमण के उच्च जोखिम के कारण थी।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, तीसरी लहर में हम श्वेतों की तुलना में जातीय अल्पसंख्यकों में कम संक्रमण दर देख रहे हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने की दर और मृत्यु दर अभी भी अधिक है। हालांकि पिछले साल की तुलना में सभी जातीय अल्पसंख्यकों में टीकों की दर में काफी वृद्धि हुई है।’’


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सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।