प्रवासी अभिभावकों के लिए ज्यादा मुश्किल थी दूरस्थ शिक्षा

प्रवासी अभिभावकों के लिए ज्यादा मुश्किल थी दूरस्थ शिक्षा

प्रवासी अभिभावकों के लिए ज्यादा मुश्किल थी दूरस्थ शिक्षा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:53 pm IST
Published Date: June 8, 2022 4:23 pm IST

तेबेजे मोल्ला, सीनियर लेक्चरर, स्कूल ऑफ एजुकेशन, डायकिन यूनिवर्सिटी और अमीन जैनी, लेक्चरर, डायकिन यूनिवर्सिटी

विक्टोरिया, आठ जून (द कन्वरसेशन) कोविड के कारण जब स्कूल बंद करने पड़े तो इसका सकारात्मक नतीजा यह हुआ कि अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा से पहले के मुकाबले ज्यादा जुड़ने लगे। हालांकि कुछ अभिभावकों के लिए यह काम मुश्किल था। प्रवासी अभिभावकों को इस दौर में बहुत परेशानी हुई।

बच्चों की शिक्षा में अभिभावकों की सहभागिता बहुत जरूरी होती है और इसका परिणाम बेहतर होता है।

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अगर फिर से ऐसी कोई परिस्थिति या महामारी आ गई जिसके कारण लॉकडाउन लगाना पड़ा तो हमारे लिए यह समझना जरूरी है कि प्रवासी परिवारों को दूरस्थ शिक्षा इतना चुनौतीपूर्ण क्यों लगा और इसे बेहतर कैसे बनाया जा सकता है।

हमने अफगानिस्तान, इथोपिया, एरिट्रिया, ईरान, सोमालिया, सूडान और दक्षिण सूडान से आए 20 प्रवासी अभिभावकों से चर्चा की और उन्होंने लॉकडाउन में सामने आयी समस्याओं के बारे में बताया।

कई अभिभावकों का कहना था कि अंग्रेजी भाषा का उचित ज्ञान नहीं होने के कारण उन्हें बच्चों की शिक्षा से जुड़ने में दिक्कत हुई। स्कूलों और सरकार की ओर से आने वाले संदेशों को समझने में भी दिक्कत हुई।

एक अभिभावक ने कहा – मेरी बेटी का उच्चारण बहुत अलग है और मेरे लिए यह समझना मुश्किल होता है कि वह क्या कह रही है। कई बार मुझे समझ नहीं आता कि उसे क्या चाहिए या फिर मैं उसकी मदद कैसे करूं। जब मैंने स्कूल से संपर्क किया तो उन्होंने अंग्रेजी में ईमेल भेजा जो मुझे समझ में नहीं आता।

महामारी में ऑस्ट्रेलिया में डिजिटल दुनिया तक लोगों की पहुंच की समस्या भी सामने आयी; कई अभिभावकों को अपना डिजिटल डिवाइस सेट करने में भी दिक्कत हुई।

अभिभावकों के सीमित डिजिटल ज्ञान के कारण बच्चों की शिक्षा पर नजर रखना मुश्किल हो गया, खास तौर पर बड़े परिवारों में। कुछ अभिभावकों ने हमें बताया कि उन्हें पता था कि बच्चे सिर्फ स्कूल का काम करने का बहाना बना रहे थे, जबकि सच्चाई यह थी कि वे यू-ट्यूब देख रहे थे या फिर गेम खेल रहे थे।

अभिभावकों में से एक ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें आर्थिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ा। बच्चों के लंबे समय तक घर पर रहने के कारण किराना और बाकी बिल भी बढ़ गए।

एक अन्य अभिभावक ने बताया : आपको ज्यादा खर्च करने की जरूरत थी। वे ज्यादा खाते हैं; वे बाथटब में खेलना चाहते हैं। वे टीवी देखते हैं; पहले के मुकाबले वैक्यूम क्लिनर और वाशिंग मशीन ज्यादा इस्तेमाल करना पड़ा।

दूरस्थ शिक्षा के दौरान अभिभावकों को टैबलेट, लैपटॉप और प्रिंटर आदि खरीदने पड़े।

वहीं लॉकडाउन के दौरान कुछ अभिभावकों का काम पूरे वक्त चलता रहा और उनकी नौकरी में कोई राहत नहीं मिली।

एक अभिभावक का कहना है : मैं शिक्षक हूं लेकिन अपने बच्चे की शिक्षा पर भी ध्यान देना नहीं हो पाया। यह संभव नहीं है।

द कन्वरसेशन अर्पणा अविनाश

अविनाश


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