यह उत्साहजनक है कि अमेरिका के सहयोग से भारत-पाक टकराव रोकने में मदद मिली: अमेरिका

यह उत्साहजनक है कि अमेरिका के सहयोग से भारत-पाक टकराव रोकने में मदद मिली: अमेरिका

यह उत्साहजनक है कि अमेरिका के सहयोग से भारत-पाक टकराव रोकने में मदद मिली: अमेरिका
Modified Date: May 23, 2025 / 11:01 am IST
Published Date: May 23, 2025 11:01 am IST

न्यूयॉर्क/वाशिंगटन, 23 मई (भाषा) अमेरिका ने कहा है कि यह ‘उत्साहजनक’ है कि उसके ‘हस्तक्षेप’ के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच ‘‘लगभग पूर्ण पैमाने पर युद्ध छिड़ने’’ से रुक गया।

विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने बृहस्पतिवार को संवाददताओं से कहा,‘‘….भारत और पाकिस्तान के बीच दिक्कतों के साथ उस क्षेत्र में हिंसा और आतंकवाद के बारे में पीढ़ीगत चिंता रही है। वहां संघर्षविराम पर सहमति बनी है।’’

ब्रूस ने कहा, ‘‘ हम जानते हैं कि पूर्ण पैमाने पर युद्ध छिड़ने के पूरे आसार थे और जो बात बहुत उत्साहजनक है वह यह है कि अमेरिका के सहयोग से इसे रोका गया और संघर्षविराम कराया गया जो जारी है। लेकिन निश्चित रूप से जैसा कि विश्व ने फिर देखा कि इसका समाधान नहीं हुआ है। इन दीर्घकालिक समस्याओं के समाधान की संभावना वापस आ गई है।’’

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उन्होंने अमेरिका और भारत के बीच संबंधों और भारत के खिलाफ पाकिस्तान में पनपते आतंकवाद पर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में यह बात कही।

ब्रूस ने कहा, ‘‘अच्छी खबर यह है कि कुछ अन्य क्षेत्रों के विपरीत संघर्षविराम के लिए प्रतिबद्धता रही है।’’

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था।

भारत की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया था बदले में भारतीय सेना ने कई पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर भीषण हमला किया था। चार दिनों तक सीमा पार ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान 10 मई को संघर्षविराम पर सहमत हुए थे।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दावा किया है कि उनके प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच ‘‘संघर्ष विराम’’ की मध्यस्थता की है। हालांकि भारत सरकार के सूत्रों ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने की सहमति बनी थी। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि इसमें कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं था।

भाषा शोभना मनीषा

मनीषा


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