तेल अवीव, 12 मई (एपी) खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों ने सोमवार को आगाह किया कि अगर इजराइल ने अपनी नाकेबंदी नहीं हटाई और सैन्य अभियान बंद नहीं किया, तो गाजा पट्टी में अकाल का खतरा बढ़ सकता है।
भूख संकट की गंभीरता पर एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्राधिकरण, ‘इंटिग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन’’ के निष्कर्षों के अनुसार, जब तक परिस्थितियां नहीं बदलतीं, तब तक अकाल की संभावना सबसे अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग पांच लाख फलस्तीनी नागरिक भुखमरी के कगार पर खड़े हैं, जबकि अन्य 10 लाख लोग ‘आपातकालीन’ स्थिति से गुजर रहे हैं।
इजराइल ने पिछले 10 हफ्तों से फलस्तीनी क्षेत्र में किसी भी तरह के भोजन, आश्रय, दवा या अन्य सामान के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि वह हवाई हमले और जमीनी अभियान चला रहा है।
गाजा की लगभग 23 लाख की आबादी जीवित रहने के लिए लगभग पूरी तरह से बाहरी सहायता पर निर्भर है, क्योंकि इजराइल के 19 महीने से जारी सैन्य अभियान ने गाजा के अंदर खाद्य उत्पादन की अधिकांश क्षमता को खत्म कर दिया है।
खाद्य आपूर्ति नाटकीय रूप से कम होती जा रही है। पका हुआ खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने वाली सामुदायिक रसोई अब गाजा में अधिकांश लोगों के लिए भोजन का एकमात्र बचा हुआ स्रोत है, लेकिन भंडार की कमी के कारण वे भी तेजी से बंद हो रहे हैं।
हजारों फलस्तीनी रोजाना सार्वजनिक रसोई के बाहर नंबर लगाते हैं, दाल या पास्ता पाने के लिए धक्का-मुक्की करते हैं।
रविवार को रसोई में इंतजार कर रहे रिहाम शेख अल-ईद ने कहा, ‘‘हमें चार, पांच घंटे धूप में लाइन में खड़े रहना पड़ता है। यह थका देने वाला होता है। अंत में, हमारे हाथ जितना कुछ नहीं लगता है, वह सभी के लिए पर्याप्त नहीं होता।’’
‘इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप’ के विश्लेषक क्रिस न्यूटन ने कहा कि भुखमरी की घोषणा न होने का मतलब यह नहीं है कि लोग पहले से भूख से नहीं मर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘इजराइली सरकार हमास को नष्ट करने और गाजा पट्टी की सूरत बदलने के अपने प्रयास के तहत गाजा को भुखमरी के कगार पर ले जाना चाहती है।’’
संयुक्त राष्ट्र ने इस बात से इनकार किया है कि सहायता का बहुत ज्यादा दुरुपयोग हो रहा है। उसका कहना है कि इजराइल द्वारा प्रस्तावित नयी व्यवस्था अनावश्यक है, इससे सहायता को राजनीतिक और सैन्य उद्देश्यों के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा और इससे फलस्तीनियों की व्यापक ज़रूरतें पूरी नहीं होंगी।
रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के महानिदेशक क्यू डोंग्यू ने कहा कि सहायता को निर्बाध प्रवाह को बहाल करने में कोई भी देरी ‘‘हमें अकाल के करीब ले जाएगी’’।
एफएओ प्रमुख ने कहा, ‘‘अगर हम इस दिशा में कदम उठाने में विफल रहते हैं, तो हम भोजन के मौलिक मानवाधिकार को संरक्षित रखने में विफल हो रहे हैं।’’
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने आईपीसी रिपोर्ट पर टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया।
सेना ने कहा है कि दो महीने के युद्धविराम के दौरान गाजा में पर्याप्त सहायता पहुंची, जिसे इजराइल ने मार्च के मध्य में अपने सैन्य अभियान को फिर से शुरू करके तोड़ दिया था।
इजराइल का कहना है कि नाकेबंदी का उद्देश्य हमास पर उन बंधकों को रिहा करने के लिए दबाव डालना है, जिन्हें उसने अब भी बंधक बना रखा है।
भाषा सुरेश दिलीप
दिलीप
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)