रात्रि आकाश को बचाने के लिए सरकारों को गंभीर होने की जरूरत | Governments need to be serious to save the night sky

रात्रि आकाश को बचाने के लिए सरकारों को गंभीर होने की जरूरत

रात्रि आकाश को बचाने के लिए सरकारों को गंभीर होने की जरूरत

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:09 PM IST, Published Date : June 27, 2021/12:32 pm IST

(सामंथा लॉलर, यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना ; और आरोन बोले, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया)

रेजिना/वेंकूवर (कनाडा), 27 जून (द कन्वरसेशन) वर्ष 2021 के प्रारंभ में ‘पर्सवीरन्स रोवर’ मंगल ग्रह पर अभी अभी उतरा ही था कि वहां के रात्रि आसमान की कथित तस्वीर वायरल हो गयी। उस तस्वीर में मंगल (मार्स) रोवर के पतली धातु के ऊपर स्पष्ट मिल्की वे (आकाश गंगा) आकाश को क्षैतिज रूप से विभाजित करती नजर आती है और उसके दोनों ओर आसमान में ढेरों तारे हैं एवं कहीं कोई अंधकार नहीं है ।

लाखों लोग उस दूसरे ग्रह के ऐसे खूबसूरत दाग विहीन रात्रि आसमान को देखकर रोमांचित हुए, वहां न शहरों का कोई प्रकाश प्रदूषण है और न ही चमकते विमान या कोई उपग्रह की मौजूदगी।

यह तस्वीर असली नहीं है बल्कि यह चतुराई के साथ नासा की तस्वीरों का संयोजन और खगोलीय फोटोग्राफी का नमूना है। तो, यह वायरल क्यों हो गयी?

संकट में रात्रि आकाश?

शहरी प्रकाश प्रदूषण ने रात्रि आकाश के साथ हमारे संबंधों को बहुत बदल दिया है : 80 फीसद उत्तरी अमेरिकी, आज जहां रहते हैं, वहां से, आकाश गंगा को नहीं देख सकते। बिजली इतनी सस्ती और विपुल है कि हम आकाश को चमकाने के लिए उसका इस्तेमाल करते हैं तथा आलस्य एवं खराब नियोजन के अलावा इसका कोई और कारण नहीं है।

अंधकार की कमी, जो अब कई लोग शहरी प्रकाश प्रदूषण के चलते महसूस करते हैं, का संबंध मानव एवं वन्यजीव दोनों में ही कई शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों से है।

लेकिन अब हम प्रकाश प्रदूषण के नये स्रोत से जूझ रहे हैं: हजारों संचार उपग्रहों के सिस्टम से। इन तथाकथित मेगाकोंस्टेलेशन का निर्माण, रात्रि आकाश को पहले से ही बदल रहा है।

वास्तव में, कई पेशेवर खगोलविदों के पर्यवेक्षण से सामने आया है कि वर्तमान स्टारलिंक मेगाकोंस्टेलेशन सेटेलाईट (उपग्रहों का तारामंडल) सूर्य की रोशनी में नंगी आंखों से नजर आते हैं।

मेगाकोंस्टेलेशन में एक-दूसरे से अलग थलग समुदायों, जो कनाडा के कई हिस्सों में एक बड़ी चुनौती है, के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाकर समाज को अहम रूप से लाभ पहुंचाने की क्षमता होती है । लेकिन साथ ही, मेगाकोंस्टेलेशन के नकारात्मक प्रभावों को नीति नियंताओं द्वारा समझने एवं उसका उपयुक्त रूप से विनियमन करने की जरूरत है।

शहरी बाशिंदे भले ही इस बदलाव को नोटिस नहीं कर पायें लेकिन दुनियाभर में कई लोग –खासकर उन संस्कृतियों के लोग, जिनका तारों के निरीक्षण एवं आकाश के पारंपरिक ज्ञान से गहरा नाता है, जरूर नोटिस करेंगे।

विज्ञान को नुकसान

दुनियाभर के खगोलविज्ञान संगठन विज्ञान के नुकसान के प्रति चिंतिंत है जो मेगाकोंस्टेलेशन और प्रकाश के अन्य रूपों से होगा और उन्होंने ‘‘डार्क एंड क्वाइट स्काईज रिपोर्ट’ और ‘सैटकोन 1 रिपोर्ट’ जैसे प्रयासों से अपनी बात रखी है।

खगोलविदों को करदाताओं से वित्तपोषित विज्ञान लक्ष्यों को हासिल करने के लिए और दूरबीन अध्ययन की जरूरत होगी । साथ ही उन्हें इन उपग्रहों की चमक का अध्ययन करने एवं उपशमन प्रयासों के वास्ते नया सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए समय एवं धन लगाने की आवश्यकता होगी।

रेडियो खगोलविदों को मेगाकोंस्टेलेशन संचार के शोरशराबे में और रेडियो स्पेक्ट्रम के चले जाने की उम्मीद है, ऐसे में अनुसंधान एवं विकास पर अतिरिक्त निवेश की जरूरत होगी।

कनाडाई एस्ट्रोनोमिकल सोसायटी के अनुरोध पर हमने एक रिपोर्ट लिखी जिसमें इस बात को लेकर सिफारिशों की फेहरिस्त है कि कनाडा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेगाकोंस्टेलेशन के कई नकारात्मक प्रभावों के समाधान के लिए क्या कर सकता है।

उपग्रहों से भरा आसमान

हमारे पास प्रस्तावित कक्षों में 65000 उपग्रहों (इसमें स्टारलिंक, वनवेब, कुइपर और स्टारनेट/जीडब्ल्यू) का एक प्रतिमान है । हमने पाया कि कनाडा में गर्मियों में हर रात किसी खास पल पर सूर्य से प्रकाशित 1500 से अधिक उपग्रह होंगे। ये सारे नजर नहीं आयेंगे क्योंकि उनकी रोशनी हर उपग्रह के आकार, उनकी परावर्तक विशेषताओं और कक्षा पर निर्भर करेगी। लेकिन फिलहाल ऐसे विनियम नहीं हैं जो उनकी चमक को सीमित करें।

कक्षा में फिलहाल करीब 20,000 ज्ञात वस्तुएं हैं जिनमें सक्रिय उपग्रह, रॉकेट, अंतरिक्ष कचरे के टुकड़े आदि शामिल हैं। अज्ञात अपशिष्ट के टुकड़े 10 से 100 गुणा अधिक हैं जो भले ही छोटे हैं लेकिन फिर भी खतरनाक हैं। उनमें रॉकेट लॉंच, उपग्रह तैनाती,विस्फोट के छोटे छोटे मलबे और अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा छोडे गये उपकरण शामिल हैं।

ये छोटी चीजें भले ही हानिकारक नहीं जान पड़ती हों लेकिन निम्न पृथ्वी कक्षा (एलईओ) में वे सात किलोमीटर प्रति सेंकेंड की रफ्तार से चलती हैं और कई बार तो वे बुलेट से भी तेज चलती हैं एवं कभी कभी कक्षाओं को पार कर जाती हैं।

कंपनियां एलईओ में कम से कम 65000 उपग्रह रखने की दिशा में उल्लेखनीय रूप से आगे बढ़ रही हैं। फिलहाल, स्पेस एक्स कंपनी के कक्षा में 1600 से अधिक स्टारलिक उपग्रह हैं , ऐसे ऐसे क्षेत्र में है जहां समस्या पैदा करने वाला विपुल अज्ञात मलबा है।

जब दो उपग्रह टकराते हैं (पहली बार, 2009 में ऐसा हुआ था) तो तेजी से घूमते हुए मलबा बिखराते हैं। किसी नष्ट उपग्रह से ट्रैकेबल (नजर रखने योग्य) अंतरिक्ष मलबे के हजारों टुकड़े बनते हैं और उनमें से हरेक दूसरे उपग्रह को नष्ट कर सकता है एवं अंतरिक्ष में और मलबा पैदा कर सकता है। कोई भी विस्फोट की घटना अंतरिक्ष उपयोग में बाधा पैदा करेगी तथा उन सेवाओं में व्यापक अवरोध पैदा कर सकती हैं जिन पर हम रोज आश्रित रहते हैं।

अंतरिक्ष अवशेष का पुन: प्रवेश

मई, 2021 में हिंद महासागर के ऊपर लांग मार्च 5 बी रॉकेट बुस्टर और मार्च, 2021 में प्रशांत उत्तरपश्चिम क्षेत्र के ऊपर स्पेस एक्स फॉल्क्र 9 रॉकेट के हाल के अनियंत्रित पुन: प्रवेश से सामने आया कि पुन: प्रवेश खतरे से खाली नहीं होता है। मार्च 2021 में फाल्कन 9 रॉकेट का एक हिस्सा वाशिंगटन में किसी किसान के खेत में गिरा।

वर्तमान नियम अंतरिक्ष होड़ (स्पेश रेस) के काल के हैं । देनदारी के लिए ढांचागत व्यवस्था है लेकिन उसकी परख तब हुई जब सोवियत रूस के एक उपग्रह ने 1978 में उत्तर पश्चिम क्षेत्र में परमाणु अपशिष्ट फैलाया।

रॉकेट लांच और सेटेलाइटों के निस्तारण दोनों से पर्यावरण पर भी असर पड़ता है।

स्पेस एक्स की योजना 42000 स्टारलिंक की योजना है जिन्हें हर पांच साल पर प्रतिस्थापित किया जाएगा। इसका मतलब हर रोज औसतन छह टन उपग्रहों को नष्ट किया जाएगा। यह सामग्री पुन: प्रवेश पर ऊपरी वायुमंडल में जमा होगी। वैसे यह तो 54 टन उल्कापिंडों से कम हैं जो रोज धरती के वायुमंडल से टकराते हैं , लेकिन उनकी संघटना बहुत अलग है, स्टारलिंक उपग्रह भार की दृष्टि से मुख्यत: अल्युमिनियम होते हैं जबकि उल्का बस एक फीसद ऐसा होता है।

हम नहीं जानते कि जब प्रतिदिन कई टन अल्युमिनियम ऊपरी वायुमंडल में जमा होगा तो क्या हो सकता है। स्पेस एक्स बिना किसी पर्यावरण निगरानी के यह प्रयोग करने जा रहा है।

प्रस्तावित उपग्रह कक्षों के झुकाव की वजह से कनाडा की जनसंख्या का काफी बड़ा हिस्सा उपग्रहों के सर्वोच्च घनत्व में आ जाएगा , इसलिए हमें कक्षा के बाहर के अंतरिक्ष अपशिष्ट का गैर आनुपातिक हिस्सा देखने को मिलने की आशंका है।

उपग्रहों का विनियमन अहम

हमें यह स्वीकार करने की जरूरत है कि एलईओ हमारे वायुमंडल, सागरों एवं भूमि से काफी गहराई से जुड़ा है । हमारे आसमान को अपूरणीय क्षति हो जाए, उससे पहले हमें अब उपग्रहों के विनियमन की जरूरत है । हम आशा करते हैं कि कनाडा सरकार अत्यावश्यकता के साथ इन सिफारिशों पर कदम उठाएगी, उतनी ही तत्परता से जितनी की अंतरिक्ष विकास की गति है।

पहले से कई मेगाकोंस्टेलेशन कंपनियां पहले ही खगोलविदों के साथ चर्चा में लगी हैं , लेकिन वे अंतरिक्षविज्ञान के भले के लिए अपने उपग्रहों के प्रति जो सुधार करती हैं, वे स्वैच्छिक है। हमें रात्रि आकाश एवं ग्लोबल इंटरनेट के बीच चुनाव करने की जरूरत नहीं है । एलईओ में उपग्रह के उपयुक्त विनियमन से हमारे पास दोनों हो सकते हैं।

(द कन्वरसेशन)

राजकुमार नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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