भारत ने पाकिस्तान को ‘अंतरराष्ट्रीय मदद के भरोसे टिका एक नाकाम देश’ बताया

भारत ने पाकिस्तान को ‘अंतरराष्ट्रीय मदद के भरोसे टिका एक नाकाम देश’ बताया

भारत ने पाकिस्तान को ‘अंतरराष्ट्रीय मदद के भरोसे टिका एक नाकाम देश’ बताया
Modified Date: February 27, 2025 / 10:07 am IST
Published Date: February 27, 2025 10:07 am IST

संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा, 27 दिसंबर (भाषा) भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने पर पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि “अंतरराष्ट्रीय मदद” पर टिका एक नाकाम देश “कर्तव्यनिष्ठा से अपने सैन्य-आतंकवादी गठजोड़ द्वारा फैलाए गए झूठ” को आगे बढ़ाता है।

भारत ने बुधवार को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 58वें नियमित सत्र में उत्तर देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने पर पाकिस्तान को करार जवाब दिया।

जिनेवा में स्थित संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के सलाहकार क्षितिज त्यागी ने कहा, ‘भारत पाकिस्तान द्वारा किए गए निराधार और दुर्भावनापूर्ण संदर्भों के जवाब में उत्तर देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर रहा है। यह खेदजनक है, लेकिन आश्चर्यजनक नहीं कि पाकिस्तान के तथाकथित नेता और प्रतिनिधि अपने सैन्य-आतंकवादी गठजोड़ द्वारा फैलाए गए झूठ का कर्तव्यनिष्ठा से प्रचार कर रहे हैं।”

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त्यागी ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक नाकाम देश इस परिषद का समय बर्बाद कर रहा है, जो अस्थिरता पर पनपता है और अंतरराष्ट्रीय सहायता पर टिका है। इसकी बयानबाजी से पाखंड की बू आती है; इसकी हरकतों में अमानवीयता है; और इसके शासन में अक्षमता है।’

उन्होंने कहा, ”केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमेशा से भारत के अभिन्न अंग थे और आगे भी रहेंगे। जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ सालों में हुई अभूतपूर्व, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तरक्की खुद ही सबकुछ बयां कर रही है।”

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत के बारे में सोचने से ज्यादा अपने देश के नागरिकों की मुश्किलें दूर करने पर ध्यान देना चाहिए।

त्यागी ने ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) को लेकर भी पाकिस्तान पर निशाना साधा।

त्यागी ने आगे कहा कि पाकिस्तान इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) का भी मजाक बना रहा है।

उन्होंने कहा, ‘वह (पाकिस्तान) इसे (ओआईसी) अपना मुखपत्र बताकर इसका दुरुपयोग कर रहा है। हम इस तरह के दुष्प्रचार को बढ़ावा नहीं देना चाहते, लेकिन रिकॉर्ड के लिए कुछ सरल बातें कहने को विवश हैं।’

भाषा

जोहेब मनीषा

मनीषा


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