भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सहायक संगठनों के कामकाज में अधिक पारदर्शिता का आह्वान किया

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सहायक संगठनों के कामकाज में अधिक पारदर्शिता का आह्वान किया

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सहायक संगठनों के कामकाज में अधिक पारदर्शिता का आह्वान किया
Modified Date: November 15, 2025 / 12:37 pm IST
Published Date: November 15, 2025 12:37 pm IST

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 15 नवंबर (भाषा) भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सहायक संगठनों के कामकाज में ‘‘अधिक पारदर्शिता’’ का आह्वान किया है तथा बिना कोई उचित स्पष्टीकरण दिए संगठनों और व्यक्तियों को आतंकवादी संगठन या आतंकवादी घोषित करने के अनुरोधों को खारिज करने का हवाला दिया है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने शुक्रवार (स्थानीय समयानुसार) को कार्यप्रणाली पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस को संबोधित करते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र की संरचना में केंद्रीय है और एक प्रमुख अंग है जिसकी मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी है।

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हरीश ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र के एक अंग के रूप में सुरक्षा परिषद की कार्यप्रणाली इसकी विश्वसनीयता, प्रभावकारिता, दक्षता और पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसके कार्यक्षेत्र में कई क्षेत्र शामिल हैं लेकिन सदस्यों की संख्या केवल 15 सदस्यों तक सीमित है। सुरक्षा परिषद कई संकटों से घिरे और कई चुनौतियों का सामना कर रहे विश्व में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने सहायक अंगों के कामकाज में अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘इसका एक उदाहरण वह (अस्पष्ट) तरीका है जिसके आधार पर (संगठनों और व्यक्तियों को) सूचीबद्ध किए जाने के अनुरोधों को खारिज किया जाता है। सूची से हटाने के फैसलों के विपरीत इस तरह के अनुरोधों पर फैसले अपेक्षाकृत अस्पष्ट तरीके से किए जाते हैं और परिषद के बाहर के सदस्य देशों को इसकी जानकारी नहीं होती।’’

हरीश ने यह भी बताया कि परिषद की समितियों और सहायक संगठनों के अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों को विशेषाधिकार प्राप्त होता है, जिनका बहुत जिम्मेदारी भरा कार्य होता है।

उन्होंने कहा कि हितों के स्पष्ट टकराव के लिए परिषद में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

हरीश ने 15 देशों की सदस्यता वाले शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र संगठन में सुधार का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को उद्देश्यपूर्ण बनाने, मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने और अपने कार्यों का उद्देश्यपूर्ण ढंग से निर्वहन करने के वास्ते सक्षम बनाने के लिए आठ दशक पुरानी संरचना को नया स्वरूप देने पर समग्र प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।’’

उन्होंने समयबद्ध तरीके से संदेशों के लिखित आदान प्रदान के माध्यम से कम प्रतिनिधित्व वाले और गैर-प्रतिनिधित्व वाले भौगोलिक क्षेत्रों के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व के साथ परिषद की सदस्यता की स्थायी और अस्थायी, दोनों श्रेणियों में विस्तार पर जोर दिया।

भाषा सुरभि संतोष

संतोष


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