डब्ल्यूईएफ की वार्षिक बैठक में छाया रहा भारत

डब्ल्यूईएफ की वार्षिक बैठक में छाया रहा भारत

डब्ल्यूईएफ की वार्षिक बैठक में छाया रहा भारत
Modified Date: November 29, 2022 / 08:33 pm IST
Published Date: May 26, 2022 9:02 pm IST

(बरुण झा)

दावोस, 26 मई (भाषा) विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बृहस्पतिवार को समाप्त हुई वार्षिक बैठक में भारत चर्चा का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा और यहां जमा हुए नेताओं के बीच बातचीत का सबसे बड़ा विषय यूक्रेन में चल रहा युद्ध रहा।

डब्ल्यूईएफ की वार्षिक बैठक के आयोजन स्थल पर प्रसिद्ध भारतीय लाउंज के साथ देश के छह राज्यों- कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के पवेलियन थे। इनके अलावा एचसीएल, विप्रो और इंफोसिस समेत अनेक भारतीय कंपनियों के पवेलियन भी यहां थे।

 ⁠

इन लाउंज में परोसा गया भोजन भी भारतीय और विदेशी नेताओं के बीच खूब पसंद किया गया।

सम्मेलन में भारत से तीन मंत्रियों पीयूष गोयल, हरदीप सिंह पुरी और मनसुख मांडविया ने विभिन्न सत्रों में शिरकत की। इनके साथ ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस बोम्मई और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी के साथ ही दूसरे कई राज्यों के नेताओं ने भी बैठक के सत्रों में भाग लिया।

सम्मेलन में भारत से करीब 100 उद्योगपतियों ने भी भाग लिया। हालांकि इस बार कुछ बड़े चेहरे सम्मेलन में शामिल नहीं हुए जो नियमित रूप से भाग लेते रहे हैं।

भारतीय नेताओं ने यहां ऊर्जा अंतरण, खाद्य और ईंधन संकट, स्वास्थ्य समानता, प्लास्टिक प्रदूषण और ताजा पेयजल संकट समेत अनेक प्रमुख विषयों पर चर्चा की।

डब्ल्यूईएफ ने सोमवार को अलायंस ऑफ सीईओ क्लाइमेट एक्शन लीडर्स के भारतीय चैप्टर का भी उद्घाटन किया।

अलायंस ऑफ सीईओ क्लाइमेट एक्शन लीडर्स इंडिया के सह-अध्यक्ष तथा रीन्यू पॉवर के अध्यक्ष और मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुमंत सिन्हा ने कहा, ‘‘बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था के रूप में जलवायु परिवर्तन को कम करने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है और भारतीय उद्योगों को देश के प्रयासों में तथा वैश्विक तापमान वृद्धि के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में पूरा समर्थन देना चाहिए।’’

डब्ल्यूईएफ के अनुसार एक न्यायोचित ऊर्जा अंतरण की व्यवस्था में 10 हजार अरब डॉलर से अधिक के वार्षिक व्यापार अवसर पैदा हो सकते हैं और दुनिया भर में 2030 तक 39.5 करोड़ रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। डब्ल्यूईएफ के अनुसार, भारत में अकेले 5 करोड़ से अधिक नई नौकरियां पैदा हो सकती हैं 15 हजार अरब डॉलर का सृजन कर सकती हैं।

भाषा वैभव नरेश पवनेश

पवनेश


लेखक के बारे में