डिजिटल विभाजन पाटने के लिए मिलकर काम कर रहे भारत, अमेरिका: पूर्व अमेरिकी अधिकारी |

डिजिटल विभाजन पाटने के लिए मिलकर काम कर रहे भारत, अमेरिका: पूर्व अमेरिकी अधिकारी

डिजिटल विभाजन पाटने के लिए मिलकर काम कर रहे भारत, अमेरिका: पूर्व अमेरिकी अधिकारी

:   Modified Date:  May 21, 2024 / 11:08 AM IST, Published Date : May 21, 2024/11:08 am IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 21 मई (भाषा) अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ की एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि भारत और अमेरिका पश्चिम एवं ग्लोबल साउथ के बीच डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं और दोनों देश कृत्रिम मेधा (एआई) के ‘‘जिम्मेदाराना एवं सुरक्षित’’ उपयोग के खाके को आकार देने में मदद कर रहे हैं।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में ‘व्हाइट हाउस’ की अधिकारी रहीं लीसा कर्टिस ने ‘मोटवानी जड़ेजा भारत-अमेरिका वार्ता श्रृंखला’ के तहत सोमवार को ‘‘रणनीतिक तालमेल: भारत-अमेरिका प्रौद्योगिकी सहयोग’’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि दोनों देश साइबर सुरक्षा और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में एआई के उपयोग को बढ़ावा देने के मामले में सहयोग कर रहे हैं।

कर्टिस ने कहा, ‘‘हम पश्चिम एंव ग्लोबल साउथ के बीच डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।’’

उन्होंने ‘हडसन इंस्टीट्यूट’ थिंक-टैंक द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पिछले साल विशेष रूप से डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर जी20 में भारत के नेतृत्व ने दिखाया कि वह इस प्रयास में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम एक साथ मिलकर एआई के जिम्मेदाराना और सुरक्षित उपयोग के खाके को आकार देने में मदद कर रहे हैं।’’

कर्टिस ने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे दोनों देशों के साझा प्रौद्योगिकी मूल्य हैं जो नवाचार की संस्कृति पर जोर देते हैं। ये ऐसे भी नियम हैं जो मानव जीवन एवं मानव गरिमा और प्रगति को हमारे एआई अनुसंधान और विकास के केंद्र में रखते हैं।’’

उन्होंने साथ ही कहा कि यह कल्पना करना कठिन है कि रूस एवं भारत के करीबी रक्षा संबंध भविष्य में अमेरिका एवं भारत के रक्षा संबंधों को प्रभावित नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारत को भरोसा है कि वह रूस एवं अमेरिका के साथ अपने संबंधों को अलग-अलग रख सकता है और ऐसा ‘फायरवॉल’ लगा सकता है जो अमेरिकी प्रौद्योगिकी की सुरक्षा कर सकेगा।’’

कर्टिस ने कहा, ‘‘लेकिन मुझे लगता है कि भारत अब भी रूसी मंचों पर बहुत अधिक निर्भर है तो ऐसे में अमेरिका अपने सुरक्षित नेटवर्क को भारतीय मंचों से जोड़ने और संवेदनशील रक्षा जानकारी साझा करने को लेकर सतर्क और अनिच्छुक रहेगा।’’

‘अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच’ के विक्रम सिंह ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच आधिकारिक स्तर पर बहुत गहरे संबंध हैं और 90 के दशक के अंत में भारतीय परमाणु परीक्षण के बाद संबंधों के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने के बाद अब रिश्ते में सुधार हो रहा है।

अमेरिका में भारत की उप राजदूत श्रीप्रिया रंगनाथन ने कहा कि भारत और अमेरिका के रणनीतिक उद्देश्यों और साझा मूल्यों के मद्देनजर दोनों देश स्वाभाविक भागीदार हैं।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)