इंडोनेशिया ने आतंकवाद को ‘कतई बर्दाश्त न करने’ की भारत की नीति का समर्थन किया

इंडोनेशिया ने आतंकवाद को ‘कतई बर्दाश्त न करने’ की भारत की नीति का समर्थन किया

इंडोनेशिया ने आतंकवाद को ‘कतई बर्दाश्त न करने’ की भारत की नीति का समर्थन किया
Modified Date: May 28, 2025 / 02:44 pm IST
Published Date: May 28, 2025 2:44 pm IST

जकार्ता, 28 मई (भाषा) इंडोनेशियाई अधिकारियों ने आतंकवाद को ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की भारत की नीति का बुधवार को समर्थन किया। इंडोनेशिया का यह समर्थन तब आया जब जद (यू) सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व में एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल इस बुराई के खिलाफ नयी दिल्ली के स्पष्ट रुख से अवगत कराने के उद्देश्य के साथ यहां पहुंचा।

जकार्ता स्थित भारतीय दूतावास ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने अंतर-संसदीय सहयोग समिति के उपाध्यक्ष मुहम्मद हुसैन फदलुल्लाह और इंडोनेशिया-भारत संसदीय मैत्री समूह के अध्यक्ष मुहम्मद रोफिकी से मुलाकात की तथा उन्हें आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत प्रतिबद्धता के बारे में जागरूक किया।

इसने कहा, ‘‘इंडोनेशियाई पक्ष ने कहा कि वे आतंकवाद की निंदा करते हैं और समस्याओं के समाधान के लिए बातचीत में विश्वास करते हैं, न कि आतंकवाद में, क्योंकि यह मानवता के विरुद्ध है। उन्होंने आतंकवाद को ‘कतई बर्दाश्त न करने’ की भारत की नीति का समर्थन किया।’’

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‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर भारत की कूटनीतिक पहुंच के हिस्से के रूप में प्रतिनिधिमंडल आज जकार्ता पहुंचा।

दूतावास ने कहा, ‘‘भारत सभी तरह के आतंकवाद से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इस पहल के माध्यम से भारत अपने ऐतिहासिक मित्र और व्यापक रणनीतिक साझेदार जकार्ता से समझ एवं समर्थन प्राप्त करना चाहता है।’’

झा के अलावा, प्रतिनिधिमंडल में सांसद अपराजिता सारंगी (भाजपा), अभिषेक बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस), बृजलाल (भाजपा), जॉन ब्रिटास (माकपा), प्रदान बरुआ (भाजपा), हेमांग जोशी (भाजपा), पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और फ्रांस तथा बहरीन में भारत के राजदूत रह चुके मोहन कुमार शामिल हैं।

यह प्रतिनिधिमंडल उन सात बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक है जिन्हें भारत ने 33 वैश्विक राजधानियों का दौरा करने का काम सौंपा है ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुंच बनाई जा सके और पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधों पर जोर दिया जा सके तथा यह बताया जा सके कि हालिया संघर्ष पहलगाम आतंकवादी हमले के कारण शुरू हुआ था, न कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के कारण।

भाषा

नेत्रपाल नरेश

नरेश


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