फांसी की तारीख और समय मुकर्रर होने के बाद भी अपराधी को सजा नहीं दे पाए जज, जानिए क्या है माजरा?
फांसी की तारीख और समय मुकर्रर होने के बाद भी अपराधी को सजा नहीं दे पाए जज judge could not punish criminal even after date and time of hanging
सिंगापुर: कानून के हिसाब से एक बार फांसी की सजा की तारीख और समय तय हो जाने के बाद इसे बदला नहीं जा सकता। निश्चित तारिख और समय में अपराधी को सजा दे दी जाती है। लेकिन सिंगापुर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। दरअसल फांसी की तारीख और समय मुकर्रर हो जाने के बाद भी भारतीय मूल के एक शख्स को जज फांसी नहीं दे पाए।
दरअसल, भारतीय मूल के धर्मलिंगम को मादक पदार्थ की तस्करी के अपराध में बुधवार को फांसी पर चढ़ाया जाना था। ‘न्यूज एशिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, धर्मलिंगम को उसके मृत्युदंड के विरूद्ध आखिरी अपील पर सुनवाई के लिए अपीलीय न्यायालय में लाया गया, लेकिन इसी दौरान न्यायाधीश ने अदालत में कहा कि धर्मलिंगम कोरोना संक्रमित पाया गया है। न्यायमर्ति एंड्रू फांग, न्यायमूर्ति जूदिथ प्रकाश और न्यायमूर्ति कन्नन रमेश की एक पीठ ने कहा कि यह तो काफी अप्रत्याशित है।
Read More: मनरेगा मजदूरों को बड़ी सौगात, अब रोजगार के साथ-साथ मिलेगा पेंशन
जज ने कहा कि अदालत का मानना है कि ‘वर्तमान परिस्थितियों’ में मृत्युदंड पर अमल करने की दिशा में बढ़ना उपयुक्त नहीं है। जज फांग ने कहा कि यदि यह शख्स कोरोना संक्रमित हो गया है तो उसे फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता है। इसी के साथ ही उन्होंने मामले की सुनवाई टाल दी लेकिन अगली तारीख अभी तय नहीं की गई। उन्होंने कहा कि जब तक सुनवाई चलेगी आवेदक को फांसी नहीं दी जाएगी।
Read More: प्रदेश के दो खिलाड़ियों को मिली Team India में जगह, न्यूजीलैंड दौरे के लिए हुआ चयन
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि हालांकि धर्मलिंगम कब कोरोना संक्रमित पाया गया, इसकी जानकारी नहीं दी गई है। धर्मलिंगम को 2009 में हेरोइन सिंगापुर लाने के अपराध में 2010 में मौत की सजा सुनाई गई थी। वह 2011 में उच्च न्यायालय में, 2019 में शीर्ष अदालत में तथा 2019 में राष्ट्रपति से राहत पाने में नाकाम रहा। धर्मलिंगम को फांसी पर चढ़ाने के दिन समय नजदीक आने पर यह मामला अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आया था।
Read More: रिश्वतखोर पुलिस अधिकारी पर गिरी निलंबन की गाज, गृह विभाग ने जारी किया आदेश
इस मामले में मलेशिया के प्रधानमंत्री इस्माइल सबरी याकोब ने अपने सिंगापुर समकक्ष ली सीन लूंग को पत्र लिखा एवं मानवाधिकार संगठनों एवं वर्जिन ग्रुप के संस्थापक रिचार्ड ब्रानसन ने इस मामले में उसे राहत दिलाने के लिए प्रयास भी किया था। इतना ही नहीं धर्मलिंगम को माफी देने की मांग संबंधी ऑनलाइन याचिका पर 70000 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर भी किए हैं।

Facebook



