लंदन, सात जून (एपी) ब्रिटेन की एक न्यायाधीश ने अधिवक्ताओं की ओर से इंग्लैंड में अदालती कार्यवाही में कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा सृजित फर्जी मामलों का हवाला दिया और चेतावनी दी कि यदि वकील अपने शोध की सटीकता की जांच नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है।
उच्च न्यायालय की न्यायाधीश विक्टोरिया शार्प ने कहा कि एआई के दुरुपयोग से “न्याय के प्रशासन पर और न्याय प्रणाली में जनता के विश्वास पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।”
दुनिया भर की न्यायिक प्रणालियां किस तरह अदालत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की बढ़ती मौजूदगी से निपटने के लिए जूझ रही हैं, इसके नवीनतम उदाहरण के तौर पर शार्प और उनके साथी न्यायाधीश जेरेमी जॉनसन ने शुक्रवार को एक फैसले में दो हालिया मामलों में वकीलों को फटकार लगाई।
दरअसल निचली अदालत के न्यायाधीशों ने ‘वकीलों द्वारा लिखित कानूनी दलीलें या गवाहों के बयान तैयार करने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों के संदिग्ध उपयोग और उन्हें नहीं परखे जाने, फलस्वरूप अदालत के समक्ष गलत जानकारी पेश किये जाने पर चिंता प्रकट की थी जिसके बाद उच्च न्यायालय दोनों न्यायाधीशों से इस बारे में व्यवस्था देने को अनुरोध किया गया था।
शार्प द्वारा लिखे गये फैसले में न्यायाधीशों ने कहा कि कतर नेशनल बैंक से जुड़े वित्तपोषण समझौते के कथित उल्लंघन पर नौ करोड़ पाउंड (12 करोड़ अमेरिकी डॉलर) के मुकदमे में, एक वकील ने 18 ऐसे मामलों का हवाला दिया, जो अस्तित्व में ही नहीं थे।
मामले में मुवक्किल, हमद अल-हारून ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध एआई उपकरणों द्वारा सृजित की गयी गलत जानकारी से अनजाने में अदालत को गुमराह करने के लिए माफी मांगी और कहा कि वह अपने वकील आबिद हुसैन के बजाय खुद जिम्मेदार था।
लेकिन शार्प ने कहा कि यह ‘‘बिल्कुल असामान्य बात है कि वकील अपने कानूनी शोध की सटीकता के लिए अन्य तरीकों के बजाय मुवक्किल पर निर्भर था।’’
एपी राजकुमार रंजन
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