नेपाल: न्यायालय ने अंतरिम सरकार के गठन और सदन भंग करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया

नेपाल: न्यायालय ने अंतरिम सरकार के गठन और सदन भंग करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया

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  • Publish Date - December 3, 2025 / 10:08 PM IST,
    Updated On - December 3, 2025 / 10:08 PM IST

(शिरिष बी. प्रधान)

काठमांडू, तीन दिसंबर (भाषा) नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (सीपीएन)- एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी (यूएमएल) द्वारा अंतरिम सरकार के गठन और प्रतिनिधि सभा को भंग करने को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतरिम सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया।

पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की 12 सितंबर को अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उनकी सिफारिश पर संसद भंग कर दी।

देश में अगला आम चुनाव पांच मार्च, 2026 को होना है।

‘जेन जेड’ द्वारा भ्रष्टाचार के विरोध और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर किए गए प्रदर्शनों के हिंसक हो जाने के बाद नौ सितंबर को प्रधानमंत्री ओली को पद से हटा दिया गया था, जिसके बाद ये चुनाव जरूरी हो गए थे।

नेपाल में दो दिनों में हिंसा के दौरान 76 लोगों की मौत हो गयी थी।

अधिकारियों के अनुसार, उच्चतम न्यायालय की एक संवैधानिक पीठ ने सभी प्रतिवादियों को महान्यायवादी कार्यालय के माध्यम से सात दिनों के भीतर लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

प्रधान न्यायाधीश प्रकाशमान सिंह राउत की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी आदेश दिया कि इस याचिका पर सदन भंग करने और अंतरिम सरकार के गठन से संबंधित पूर्व के मामलों के साथ सुनवाई की जाए।

वकीलों द्वारा सदन भंग करने के खिलाफ न्यायालय में लगभग एक दर्जन मामले दायर किए गए हैं।

नेकपा (एमाले) की ओर से दायर याचिका में कार्की की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए दलील दी गयी कि संविधान पूर्व प्रधान न्यायाधीश और संसद के सदस्य न होने वाले व्यक्ति को यह पद ग्रहण करने से रोकता है।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि कार्की की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 76 और 132(2) का उल्लंघन करती है और इसलिए यह ‘असंवैधानिक’ है।

याचिका में राष्ट्रपति द्वारा कार्की को प्रधानमंत्री नियुक्त करने, कैबिनेट की नियुक्तियों और उसके बाद के फैसलों को रद्द करने का अनुरोध किया गया।

पार्टी ने सदन भंग करने के आदेश को वापस लेने और संसद को बहाल करने की भी मांग की तथा पूरी सरकार को ‘अवैध’ बताया।

भाषा जितेंद्र रंजन

रंजन