पाक नेताओं ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप के नाम की सिफारिश पर पुनर्विचार करने को कहा

पाक नेताओं ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप के नाम की सिफारिश पर पुनर्विचार करने को कहा

पाक नेताओं ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप के नाम की सिफारिश पर पुनर्विचार करने को कहा
Modified Date: June 23, 2025 / 10:59 am IST
Published Date: June 23, 2025 10:59 am IST

इस्लामाबाद, 23 जून (भाषा) पाकिस्तान के कुछ नेताओं और प्रमुख हस्तियों ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के हमले के बाद सरकार से 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम की सिफारिश करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।

सरकार ने शुक्रवार को एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए घोषणा की थी कि वह हाल में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान शांति प्रयासों के लिए ट्रंप के नाम की सिफारिश इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए करेगी।

उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार के हस्ताक्षर वाला अनुशंसा-पत्र नॉर्वे में नोबेल शांति पुरस्कार समिति को भेजा जा चुका है।

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लेकिन अमेरिका द्वारा ईरान के फोर्दो, इस्फहान और नतांज परमाणु केन्द्रों पर हमले किए जाने के बाद इस फैसले को लेकर आपत्तियां आने लगी हैं।

‘डॉन’ अखबार ने लिखा कि कुछ प्रमुख राजनेताओं ने सरकार से नवीनतम घटनाक्रम के मद्देनजर अपने फैसले की समीक्षा करने की मांग की है।

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख वरिष्ठ नेता मौलाना फजलुर रहमान ने मांग की कि सरकार अपना फैसला वापस ले।

फजल ने रविवार को मरी में पार्टी की एक बैठक में कार्यकर्ताओं से कहा, ‘‘राष्ट्रपति ट्रंप का शांति का दावा झूठा साबित हुआ है; नोबेल पुरस्कार के लिए प्रस्ताव वापस लिया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि ट्रंप की हाल में पाकिस्तान के सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ बैठक और दोनों के साथ में भोजन करने से ‘पाकिस्तानी शासकों को इतनी खुशी हुई’ कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने की सिफारिश कर दी।

फजल ने सवाल किया, ‘‘ट्रंप ने फलस्तीन, सीरिया, लेबनान और ईरान पर इजराइल के हमलों का समर्थन किया है। यह शांति का संकेत कैसे हो सकता है?’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब अमेरिका के हाथों पर अफगानों और फलस्तीनियों का खून लगा हो, तो वह शांति का समर्थक होने का दावा कैसे कर सकता है?’’

पूर्व सीनेटर मुशाहिद हुसैन ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘चूंकि ट्रंप अब संभावित शांतिदूत नहीं रह गए हैं, बल्कि एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने जानबूझकर एक अवैध युद्ध छेड़ दिया है, इसलिए पाकिस्तान सरकार को अब नोबेल पुरस्कार के लिए उनके नाम की सिफारिश पर पुनर्विचार करना चाहिए, उसे रद्द करना चाहिए!’’

उन्होंने कहा कि ट्रंप इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और इजराइल की ‘युद्ध लॉबी’ के जाल में फंस गए हैं, और ‘‘अपने राष्ट्रपति पद की सबसे बड़ी भूल’’ कर रहे हैं।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सांसद अली मुहम्मद खान ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर ‘‘पुनर्विचार करें’’ लिखा। उन्होंने ‘‘ईरान पर अमेरिकी हमले और गाजा में इजराइल द्वारा की गई हत्याओं के लिए निरंतर अमेरिकी समर्थन’’ होने का दावा किया।

एक अलग पोस्ट में, विपक्षी पीटीआई ने अमेरिकी हमलों को बिना उकसावे के किया गया बताते हुए उनकी निंदा की और ईरान की संप्रभुता के लिए ‘पूर्ण समर्थन’ व्यक्त किया।

अमेरिका में पाकिस्तान की पूर्व राजदूत मलीहा लोधी ने इस कदम को “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया और कहा कि यह जनता के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करता है।

वरिष्ठ पत्रकार मारियाना बाबर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि “आज पाकिस्तान भी बहुत अच्छा नहीं दिखता है”। उन्होंने ट्रंप के नाम की सिफारिश वाली पाक सरकार की पोस्ट को साझा करते हुए यह बात कही।

लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता फातिमा भुट्टो ने कहा, “क्या पाकिस्तान नोबेल शांति पुरस्कार के लिए उनके (ट्रंप के) नाम की सिफारिश वापस लेगा?”

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा


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