(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 23 मई (भाषा) पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में यह देश निरंतर एक सक्रिय साझेदार बना हुआ है।
विदेश कार्यालय का यह बयान राजस्थान के बीकानेर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बृहस्पतिवार को की गई उन टिप्पणियों के जवाब में आया है, जिसमें कहा गया था कि अगर पाकिस्तान ने आतंकियों को भेजना जारी रखा, तो उसे (पाकिस्तान को) पाई-पाई के लिए मोहताज होना पड़ेगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था, ‘‘पाकिस्तान को भारत के हक का पानी नहीं मिलेगा, भारतीयों के खून से खेलना, पाकिस्तान को अब महंगा पड़ेगा। यह भारत का संकल्प है, और दुनिया की कोई ताकत हमें इस संकल्प से डिगा नहीं सकती।’’
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाने की घोषणा की थी, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना भी शामिल है।
इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे।
विदेश कार्यालय ने कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में पाकिस्तान निरंतर एक सक्रिय साझेदार बना हुआ है और पाकिस्तान को आतंकी कृत्यों से जोड़ने का कोई भी आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत और स्पष्ट रूप से भ्रामक है।’’
पाकिस्तान ने भारत से जिम्मेदारी और संयम बरतने का आग्रह किया।
विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, क्षेत्रीय स्थिरता और रचनात्मक भागीदारी के लिए प्रतिबद्ध है।
विदेश कार्यालय ने यह भी कहा कि शांति के लिए पाकिस्तान की इच्छा को उसकी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान के लोग और उसके सशस्त्र बल देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए पूरी तरह तैयार और सक्षम हैं।
इसने कहा कि किसी भी ‘‘दुस्साहस या आक्रमकमता’’ का कड़ा और उचित जवाब दिया जाएगा।’’ विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान ने अतीत में भी अपने संकल्प को प्रदर्शित किया है और आवश्यकता पड़ने पर वह फिर से ऐसा करेगा।
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद, 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था।
भारत की कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले करने का प्रयास किया था। वहीं, भारतीय सेना ने कई पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर भीषण जवाबी हमले किए।
चार दिनों के संघर्ष के बाद, 10 मई को दोनों पक्षों के बीच टकराव रोकने पर सहमति बनी।
भाषा सुभाष नरेश
नरेश
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