कतर ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने पर जोर दिया

कतर ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने पर जोर दिया

कतर ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने पर जोर दिया
Modified Date: May 27, 2025 / 02:14 pm IST
Published Date: May 27, 2025 2:14 pm IST

दोहा, 27 मई (भाषा) दोहा स्थित भारतीय दूतावास ने मंगलवार को कहा कि कतर ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने पर जोर दिया और रेखांकित किया कि आतंकवादियों तथा उनके समर्थकों के बीच कोई अंतर नहीं किया जाना चाहिए।

सांसद सुप्रिया सुले के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल की कतर यात्रा सोमवार को संपन्न हो गई। यह पहलगाम आतंकवादी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद के घटनाक्रमों के पश्चात निर्धारित की गई चार देशों की यात्रा का पहला चरण था।

यहां भारतीय दूतावास की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘कतर पक्ष ने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की अपनी नीति पर जोर दिया और कहा कि आतंकवाद की निंदा की जानी चाहिए। प्रतिनिधिमंडल ने पहलगाम हमले की कतर सरकार द्वारा की गई निंदा की सराहना की और कतर नेतृत्व को उसके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।’’

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इसमें कहा गया कि दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल ने पिछले दो दिनों में विदेश राज्य मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलअजीज बिन सालेह अल खुलैफी, गृह राज्य मंत्री शेख अब्दुलअजीज बिन फैसल बिन मोहम्मद अल थानी, शूरा काउंसिल के उपाध्यक्ष हमदा बिन्त हसन अल सुलैती और कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात की।

बयान में कहा गया, ‘‘भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने सीमा पार आतंकवाद के प्रति भारत की कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति से अवगत कराया तथा 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के बाद की स्थिति के बारे में जानकारी दी।’’

इसमें कहा गया, ‘‘प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि प्रतिक्रिया स्वरूप भारत द्वारा अंजाम दिया गया ऑपरेशन सिंदूर अच्छी तरह योजनाबद्ध, लक्षित और आनुपातिक था, जो तनाव बढ़ाए बिना आतंकवाद का मुकाबला करने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’’

बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने आतंकवादियों और उनके समर्थकों के बीच भेद करना बंद करने तथा कई दशकों से भारत के खिलाफ विकसित और इस्तेमाल किए जा रहे सीमा पार आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने की आवश्यकता पर बल दिया।’’

प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने वैश्विक मामलों की पश्चिम एशिया परिषद में अकादमिक और थिंक टैंक समुदाय के साथ गोलमेज चर्चा की तथा मीडिया के साथ-साथ भारतीय समुदाय से भी बातचीत की।

सुले के अलावा प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में सांसद राजीव प्रताप रूडी, विक्रमजीत सिंह साहनी, मनीष तिवारी, अनुराग सिंह ठाकुर और लवू श्रीकृष्ण देवरायलु, पूर्व वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा, पूर्व विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन और संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि राजदूत सैयद अकबरुद्दीन शामिल हैं।

कतर ने 23 अप्रैल को एक बयान में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की थी। इस बर्बर आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे।

इस खाड़ी देश को पश्चिम एशियाई क्षेत्र में प्रभावशाली माना जाता है तथा यह क्षेत्रीय संघर्षों में मध्यस्थ की भूमिका निभाता है।

सुले के नेतृत्व वाला समूह मंगलवार को दक्षिण अफ्रीका जाएगा, जो वर्तमान में जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। इसके बाद यह इथियोपिया जाएगा, जो अफ्रीकी संघ का गृह देश भी है। प्रतिनिधिमंडल अरब दुनिया के एक प्रभावशाली देश मिस्र का भी दौरा करेगा।

यह प्रतिनिधिमंडल उन सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक है, जिन्हें भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुंच बनाने और आतंकवाद के साथ पाकिस्तान के संबंधों को बेनकाब करने के मकसद से 33 वैश्विक राजधानियों का दौरा करने का दायित्व सौंपा है। ये प्रतिनिधिमंडल संबंधित देशों को यह भी बताने के लिए काम कर रहे हैं कि हालिया संघर्ष पहलगाम में किए गए आतंकवादी हमले की वजह से शुरू हुआ था, न कि ऑपरेशन सिंदूर के कारण, जैसा कि पाकिस्तान ने आरोप लगाया है।

पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया और भारत ने छह मई की देर रात पाकिस्तान तथा इसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए।

पाकिस्तान ने आठ, नौ और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया, जिसका भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया।

इस तनाव के बाद 10 मई को दोनों पक्षों के सैन्य अभियान महानिदेशकों के बीच वार्ता हुई और सैन्य संघर्ष रोकने पर सहमति बनी।

भाषा

नेत्रपाल नरेश

नरेश


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