क्वाड ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद सहित सभी आतंकी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया

क्वाड ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद सहित सभी आतंकी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया

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Modified Date: July 29, 2024 / 09:00 PM IST
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Published Date: July 29, 2024 9:00 pm IST

तोक्यो, 29 जुलाई (भाषा) ‘क्वाड’ समूह ने सोमवार को लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और उनके छद्म संगठनों सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया।

समूह ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान का संदर्भ देते हुए सभी देशों से आग्रह किया कि वे अपने क्षेत्र का आतंकवादी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने से रोकने के लिए तत्काल, निरंतर और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करें।

चार देशों के समूह क्वाड के विदेश मंत्रियों की यहां बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में, क्वाड मंत्रियों ने सीमा पार आतंकवाद सहित आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ के सभी रूपों की ‘स्पष्ट रूप से’ निंदा की।

क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।

बयान में कहा गया है, “हम 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमलों, और पठानकोट हमलों सहित अन्य आतंकवादी हमलों की फिर से निंदा करते हैं तथा इन हमलों को अंजाम देने वालों को बिना देरी के न्याय के कठघरे में लाने का आह्वान करते हैं।”

मंत्रियों ने आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों द्वारा मानव रहित हवाई यान (यूएवी), ड्रोन, सुरंगों और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल की निंदा की।

क्वाड ने सभी देशों से आग्रह किया कि वे अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र का आतंकवादी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने से रोकने के लिए तत्काल, निरंतर और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करें।

बयान में किसी का भी नाम लिए बिना कहा गया है, “ हम अल-कायदा, आईएसआईएस/दायश, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और उनके छद्म समूहों सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान दोहराते हैं।”

पाकिस्तान पर उसके पड़ोसी देशों द्वारा बार-बार अल-कायदा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और उनके छद्म समूहों सहित आतंकवादी संगठनों को पनाह देने का आरोप लगाया जाता रहा है।

संयुक्त बयान में कहा गया है, “हम अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा अपने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय साझेदारों के साथ व्यापक और सतत तरीके से काम कर रहे हैं, ताकि आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ से उत्पन्न खतरों को रोकने, पता लगाने और उनका जवाब देने की उनकी क्षमता को मजबूत किया जा सके।”

भाषा नोमान सुभाष

सुभाष

 

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