इंडोनेशिया में डूबी पनडुब्बी की तलाश जारी, गहरे समुद्र में समाने की आशंका

इंडोनेशिया में डूबी पनडुब्बी की तलाश जारी, गहरे समुद्र में समाने की आशंका

इंडोनेशिया में डूबी पनडुब्बी की तलाश जारी, गहरे समुद्र में समाने की आशंका
Modified Date: November 29, 2022 / 08:30 pm IST
Published Date: April 22, 2021 9:34 am IST

जकार्ता, 22 अप्रैल (एपी) इंडोनेशियाई नौसेना ने बृहस्पतिवार को अपनी लापता पनडुब्बी की गहन तलाश जारी रखी जिसके गहरे समुद्र में समाने की आशंका है और इसमें सवार 53 लोगों के जिंदा होने की संभावना क्षीण होती जा रही है।

इस जटिल तलाश अभियान में पड़ोसी देश भी मदद को आगे आए हैं और अपने बचाव पोतों को इलाके में भेजा है।

उल्लेखनीय है कि डीजल चालित ‘केआरआई नांग्गला 402’ पनडुब्बी बुधवार को उस समय लापता हो गई जब यह प्रशिक्षण अभ्यास पर थी।

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अधिकारियों ने बताया कि बाली द्वीप से 96 किलोमीटर उत्तर में जिस स्थान पर आखिरी समय पनडुब्बी ने पानी में गोता लगाया था, वहां तेल का रिसाव और डीजल की गंध मिली है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस तेल का संबंध लापता पनडुब्बी से ही है।

इंडोनेशियाई नौसेना ने कहा कि उसे लगता है कि यह पनडुब्बी 600 से 700 मीटर की गहराई में डूबी है जो 200 मीटर गहराई के पूर्व के अनुमान से अधिक है।

दक्षिण कोरियाई कंपनी ‘देउ शिपबिल्डिंग ऐंड मरीन इंजीनियरिंग’ के अधिकारी गुक हेयाने ने कहा कि अधिकतर पनडुब्बी 200 मीटर से अधिक गहराई पर जाने पर दबाव की वजह से नष्ट जाती हैं।

उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी ने इंडेनेशियाई पनडुब्बी के आंतरिक ढांचे एवं प्रणाली को अद्यतन किया था लेकिन अब उसके बारे में सूचना नहीं है क्योंकि यह पिछले नौ साल से उससे नहीं जुड़ी थी।

ऑस्ट्रेलिया के पनडुब्बी संस्थान के सचिव फ्रैंक ओवन ने अनुमान व्यक्त किया कि पनडुब्बी बचाव दल के अभियान से कहीं अधिक गहराई में चली गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘अधिकतर बचाव प्रणाली केवल 600 मीटर तक की गहराई पर काम करने के लिए है। वे उससे गहरे जा सकते हैं क्योंकि उनके डिजाइन में सुरक्षा के अतिरिक्त उपाय होते हैं लेकिन वे उसे पंप नहीं कर सकते और उससे जुड़ी अन्य प्रणालियों को चला नहीं सकते क्योंकि उनके परिचालन की क्षमता इतनी गहराई पर नहीं होती। वे गहराई में जिंदा रह सकते हैं लेकिन जरूरी नहीं कि पनडुब्बी का परिचालन कर सकें।’’

इस बीच, सिंगापुर और मलेशिया के बचाव पोतों के शनिवार तक क्षेत्र में पहुंचने की उम्मीद है। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, रूस, भारत और तुर्की की सेना ने भी मदद की पेशकश की है।

एपी धीरज नेत्रपाल

नेत्रपाल


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