कैपिटल पर हमले के छह महीने बाद कॉरपोरेट जगत का संकल्प धरा रह गया
कैपिटल पर हमले के छह महीने बाद कॉरपोरेट जगत का संकल्प धरा रह गया
प्रोविडेंस (अमेरिका), चार जुलाई (एपी) अमेरिका में कैपिटल पर छह जनवरी को जब धावा बोला गया था तो देशभर में लोग स्तब्ध रहे गये थे और अमेरिकी कोरपोरेट जगत ने उन झूठ के विरूद्ध एक रूख अपनाया था जिसकी वजह से भीड़ हमला करने पहुंची थी। या (तब) बस ऐसा (कोरपोरेट जगत के संबंध में) जान पड़ा था।
तब दर्जनों बड़ी कंपनियों ने लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का हवाला देते हुए उन 147 सांसदों को चंदा नहीं देने का संकल्प लिया था जिन्होंने इस झूठ के आधार पर जो बाइडन की जीत पर कांग्रेस के सत्यापन पर ऐतराज किया था कि मतदान में फर्जीवाड़े के चलते तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पुन: निर्वाचन नहीं हो पाया।
कारोबार जगत के कुछ सबसे अधिक चर्चित नामों का यह अनोखा कदम था लेकिन अब जो सामने आया है , उसके अनुसार यह बस खोखला कदम था।
महज छह महीने बाद उनमें से कई कंपनियों ने सांसदों के चुनाव प्रयासों को फायदा पहुंचाने वाली राजनीतिक कार्य समितियों (पीएसी) को नकद देना बहाल कर दिया है, चाहे, उन्होंने निर्वाचन सत्यापन पर ऐतराज किया या नहीं । जब कॉरपोरेट चंदे के माध्यम से अपने पक्ष में राजनीतिक प्रभाव करने की बात आती है तो चीजें पहले की तरह हो गयी हैं।
वाल्मार्ट, फाइजर, इंटेल, जनरल इलेक्ट्रिक और एटी एंड टी ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने ट्रंप के समर्थकों द्वारा सत्ता परिवर्तन को बाधित करने के हिंसक प्रयास के तहत कैपिटल पर धावा के बाद लोकतंत्र के प्रति अपना संकल्प घोषित किया था।
अब उन्हीं कंपनियों ने दलील दी है उम्मीदवार को सीधे तौर पर चंदा देना वैसा नहीं है जैसा कि पीएसी को चंदा देना जो उनका समर्थन करती हैं।
एपी राजकुमार नीरज
नीरज

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