वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद 18 साल तक पाकिस्तान नहीं छोड़ने वाली श्रीलंकाई महिला कोलंबो लौटेगी

वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद 18 साल तक पाकिस्तान नहीं छोड़ने वाली श्रीलंकाई महिला कोलंबो लौटेगी

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  • Publish Date - November 29, 2025 / 04:23 PM IST,
    Updated On - November 29, 2025 / 04:23 PM IST

कराची, 29 नवंबर (भाषा) पाकिस्तान में वीजा अवधि से ज्यादा समय तक रहने पर अधिकारियों द्वारा लगाए गए भारी जुर्माने के कारण 18 साल तक देश नहीं छोड़ पाई 65-वर्षीय श्रीलंकाई महिला आखिरकार कोलंबो में अपने बच्चों से मिल पाएगी।

रशीना (जो सिर्फ अपना पहला नाम बताती हैं) ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि वह 18 साल तक कराची में अवैध विदेशी के तौर पर रहीं, क्योंकि उनके पास जुर्माना भरने के लिए 22 लाख पाकिस्तानी रुपये नहीं थे।

उन्होंने बताया, ‘‘मैं कोलंबो के एक गरीब परिवार से हूं और मेरे रिश्तेदार भी मुझे जुर्माना भरने एवं घर वापसी का टिकट दिलाने में मदद करने की स्थिति में नहीं थे।’’

‘अब्दुल सत्तार ईधी फाउंडेशन’ के अध्यक्ष फैसल ईधी ने शनिवार को बताया कि श्रीलंकाई महिला की दुर्दशा ने उन्हें एवं ईधी ट्रस्ट और एक अन्य धर्मार्थ संगठन ‘सैलानी’ को उसकी मदद करने प्रेरित किया।

वहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं वकील जिया अवान ने महिला को कोलंबो वापस भेजने के लिए उनका मुकदमा लड़ा।

उन्होंने बताया कि सरकार ने कराची में अवैध रूप से रहने के लिए रशीना पर 22 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।

रशीना ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि उनका जन्म श्रीलंका में हुआ था और वह कुवैत में काम करती थीं, जहां उनकी मुलाकात पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रहने वाले जावेद इकबाल से हुई।

उन्होंने बताया कि वे एक-दूसरे से प्यार करने लगे और फिर उन्होंने शादी कर ली।

रशीना ने बताया कि वे सऊदी अरब चले गए और वहां 15 साल तक रहे, लेकिन उनकी नौकरी चली गई और उनके पति ने पाकिस्तान में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया।

उन्होंने बताया, “मैं अपने तीन बच्चों, दो बेटियों और एक बेटे को अपने साथ कोलंबो ले गई।”

श्रीलंकाई महिला ने बताया, ‘‘अपने बच्चों को कोलंबो में अपने परिवार की देखभाल में छोड़कर मैं अपने पति से मिलने मियां चन्नू जाने के लिए ‘विजिट वीजा’ पर पाकिस्तान आई थी, लेकिन उनके परिवार ने मुझे स्वीकार नहीं किया। हम पंजाब छोड़कर कराची आ गए, जहां हमें एक छोटा सा किराए का घर मिल गया।’’

उन्होंने बताया, हालांकि, उनके पति यकृत की बीमारी से गंभीर रूप से बीमार पड़ गए और उनका निधन हो गया।

रशीना ने बताया कि वह पार्कों में सोने लगीं और ‘सैलानी’ वेलफेयर ट्रस्ट में खाना खाने जाती थीं, जहां उनकी मुलाकात अब्दुल हफीज नाम के एक स्वयंसेवक से हुई, जो उन्हें अपने परिवार के पास रहने के लिए ले गए। उन्होंने बताया, “मैं ‘सैलानी’ की बहुत आभारी हूं क्योंकि उन्होंने हफीज व उनके परिवार के साथ रहते हुए भी मेरा ख्याल रखा।”

रशीना को अपने जीवन के कठिन दौर के वक्त हृदय की बाईपास सर्जरी भी करानी पड़ी और उनके सभी चिकित्सा बिलों का भुगतान ‘सैलानी’ ट्रस्ट ने किया।

वकील जिया अवान ने पिछले दिनों कहा कि उन्होंने सामूहिक रूप से सिंध उच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ में एक याचिका दायर की, जिसने गृह सचिव को पेश होने का आदेश दिया।

अवान ने बताया, “तभी रशीना का भारी जुर्माना माफ कर दिया गया और उसे 15 दिनों के भीतर पाकिस्तान छोड़ने का आदेश दिया गया।”

रशीना का श्रीलंकाई पासपोर्ट नवीनीकृत होने के बाद ‘सैलानी’ ने उसे घर जाने के लिए एकतरफा टिकट दिलवाया।

रशीना अब दो दिसंबर को कराची से घर वापसी की उड़ान में सवार होने के लिए पूरी तरह तैयार है।

भाषा जितेंद्र सुरेश

सुरेश