श्रीलंका को लेकर अमेरिका का नजरिया चीन से बहुत अलग है: पोम्पियो

श्रीलंका को लेकर अमेरिका का नजरिया चीन से बहुत अलग है: पोम्पियो

श्रीलंका को लेकर अमेरिका का नजरिया चीन से बहुत अलग है: पोम्पियो
Modified Date: November 29, 2022 / 07:57 pm IST
Published Date: October 28, 2020 12:58 pm IST

कोलंबो, 28 अक्टूबर (भाषा) अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने मंगलवार को यहां कहा कि श्रीलंका को लेकर अमेरिका का नजरिया चीन से ‘‘बहुत अलग’’ है। उन्होंने द्वीप राष्ट्र की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

द्विपक्षीय वार्ता के बाद श्रीलंका के विदेश मंत्री दिनेश गुणावर्धने के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में उनके अमेरिकी समकक्ष ने कहा कि अमेरिका और श्रीलंका ने एक लोकतांत्रिक नजरिये को साझा किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘“वास्तव में, एक मजबूत संप्रभु श्रीलंका विश्व मंच पर एक सकारात्मक भागीदार है। यह एक हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए उम्मीद की एक किरण हो सकता है।’’

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पोम्पियो ने एक सवाल के जवाव में कहा, ‘‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी एक शिकारी है। अमेरिका अलग तरह से आता है…, हम दोस्त के रूप में आते हैं।’’

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में पोम्पियो अमेरिका के सबसे वरिष्ठ मंत्री हैं, जिन्होंने श्रीलंका की यात्रा की है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका और श्रीलंका ने मजबूत संबंध बनाने और ‘‘लोकतांत्रिक चुनाव आयोजित करने की स्वतंत्रता’’ के लिए एक दृष्टिकोण साझा किया है।

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘अमेरिका लोकतांत्रिक और पूरी तरह से स्वतंत्र श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को बढ़ाना चाहता है।’’ उन्होंने कहा कि उन्होंने श्रीलंका के नेताओं से ‘‘(कोविड-19) महामारी, जो चीन के वुहान से आई थी’’ पर चर्चा की।

पोम्पियो ने कहा कि उन्होंने ‘‘सुरक्षा अभियानों के बारे में विस्तृत चर्चा की।’’

वह उत्तरी कोलंबो में सेंट एंथनी गिरजाघर गये। यह गिरजाघर पिछले साल ईस्टर पर हुए हमलों से तबाह हुए गिरजाघरों में से एक है जिसमें कई निर्दोष लोग मारे गये थे और घायल हुए थे।

पोम्पियो ने ट्वीट किया, ‘‘आज, मैंने सेंट एंथनी में पुष्पांजलि अर्पित की। हम हिंसक चरमपंथ को पराजित करने के लिए श्रीलंका के लोगों और दुनिया के साथ खड़े हैं और दोषियों को सजा दिलाने चाहते है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पांच अमेरिकी मारे गए थे। अमेरिका ने अमेरिकियों के हत्यारों और उनके अपने लोगों को न्याय दिलाने में मदद करने के वास्ते पर्याप्त आतंकवाद विरोधी सहायता की पेशकश की है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आइए हम सभी एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हों और लोकतांत्रिक मूल्यों से लैस हमारी साझेदारी के बल पर हम एक साथ मिलकर और अधिक प्रयास करें।’’

गुणावर्धने ने कहा कि श्रीलंका एक गुट-निरपेक्ष राष्ट्र बना रहेगा और इस आधार पर अमेरिकी अधिकारियों ने श्रीलंका का दौरा किया।

इस बीच, बीजिंग में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को लेकर दिये गये पोम्पियो के बयान के बारे पूछे गये एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि पक्षों को चुनने के लिए छोटे और मध्यम आकार के देशों को मजबूर करना कुछ अमेरिकी नेताओं की आदत है।

उन्होंने कहा कि श्रीलंका के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने एक लेख प्रकाशित किया है जिसमें कहा गया है कि वह किसी भी विदेशी द्वारा निर्देशित होने के बजाय अपने लोगों की इच्छाओं और कानूनों के अनुसार अपने विदेशी संबंधों को संभालेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘श्रीलंका और चीन पारंपरिक मित्र पड़ोसी देश हैं। हम आपसी बातचीत और लाभ के आधार पर मैत्रीपूर्ण सहयोग कर रहे हैं, जो दोनों देशों के लोगों के लिए फायदेमंद है।

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम दोनों देशों के लोगों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के लिए क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास में योगदान देने के वास्ते श्रीलंका के साथ हमारी रणनीतिक सहयोगात्मक भागीदारी को बढ़ाने और मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे।’’

विदेश मंत्री पोम्पियो, रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर के साथ भारत और अमेरिका के बीच ‘टू प्लस टू’ वार्ता के तीसरे संस्करण के लिए भारत आये थे।

पोम्पियो की यात्रा को श्रीलंका में चीन के बढ़ते दबाव के मद्देनजर देखा जा रहा है। इस महीने की शुरूआत में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया एक स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र बनाने के लिए समन्वय को बढ़ाने पर सहमत हुए थे।

इस बीच, विपक्षी दल विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) ने अमेरिकी दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें अमेरिका से श्रीलंका में कथित हस्तक्षेप को समाप्त करने का आग्रह किया गया।

पोम्पियो की कोलंबो यात्रा से केवल एक दिन पहले चीनी दूतावास ने अमेरिका पर चीन और श्रीलंका के बीच संबंधों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था।

भाषा

देवेंद्र दिलीप

दिलीप


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