संरा की शीर्ष अदालत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया

संरा की शीर्ष अदालत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया

संरा की शीर्ष अदालत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया
Modified Date: July 23, 2025 / 08:25 pm IST
Published Date: July 23, 2025 8:25 pm IST

द हेग, 23 जुलाई (एपी) संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने बुधवार को जलवायु परिवर्तन से निपटने पर एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि ‘‘स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण’’ एक मानवाधिकार है।

अदालत ने जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रों के दायित्वों और ऐसा न करने पर उनके द्वारा सामना किए जाने वाले परिणामों से जुड़े एक ऐतिहासिक मुकदमे में फैसला सुनाया है।

लगभग 500 पन्नों के इस गैर-बाध्यकारी परामर्श को अंतरराष्ट्रीय जलवायु कानून में एक संभावित मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। यह निर्णय घरेलू मुकदमों और निवेश समझौतों जैसे कानूनी उपायों सहित अन्य कानूनी कार्रवाइयों का आधार बन सकता है।

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न्यायालय के अध्यक्ष युजी इवासावा ने कहा, ‘‘स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण का अधिकार अन्य मानवाधिकारों में अंतर्निहित है।’’

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से ग्रह की रक्षा करने में विफलता अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हो सकती है।

इस मुकदमे का नेतृत्व प्रशांत द्वीपीय देश वानुअतु द्वारा किया जा रहा है तथा इसे 130 से अधिक देशों का समर्थन प्राप्त है।

संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश, जिनमें अमेरिका और चीन जैसे प्रमुख ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक देश भी शामिल हैं, इस न्यायालय में पक्षकार हैं।

न्यायालय के बाहर जलवायु कार्यकर्ता भी एकत्रित हुए हैं। फैसला सुनने के लिए न्यायालय कक्ष, जिसे ‘ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस’ कहा जाता है, खचाखच भरा हुआ है।

बढ़ते समुद्री जलस्तर के कारण लुप्त हो जाने के डर से द्वीपीय देशों की वर्षों की पैरवी के बाद, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2023 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से एक परामर्श मांगा, जो अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का एक महत्वपूर्ण आधार बन सके।

पंद्रह न्यायाधीशों की पीठ को दो प्रश्नों के उत्तर देने का काम सौंपा गया था कि मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से जलवायु और पर्यावरण की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत देशों के लिए क्या करना अनिवार्य है? दूसरा, सरकारों के लिए कानूनी परिणाम क्या हैं जब उनके कार्यों या कार्रवाई की कमी से जलवायु और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा हो।

एपी शफीक नेत्रपाल

नेत्रपाल


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