कमला हैरिस के ‘अभूतपूर्व’ उदय को बताती अमेरिका के भारतीय पत्रकार की नयी किताब |

कमला हैरिस के ‘अभूतपूर्व’ उदय को बताती अमेरिका के भारतीय पत्रकार की नयी किताब

कमला हैरिस के ‘अभूतपूर्व’ उदय को बताती अमेरिका के भारतीय पत्रकार की नयी किताब

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:23 PM IST, Published Date : October 24, 2021/1:30 pm IST

( ललित के झा )

वाशिंगटन, 24 अक्टूबर (भाषा) वाशिंगटन के एक भारतीय पत्रकार और लेखक ने कमला हैरिस के पहली महिला उपराष्ट्रपति बनने और कई वर्जनाओं को तोड़ते हुए इस प्रक्रिया में उनके ‘‘अभूतपूर्व’’ उदय का वर्णन करती अपनी एक नयी किताब में उनके कुछ अनछुए तथ्यों को उजागर करने का प्रयास किया है।

उदाहरण के लिए हैरिस का पूरा नाम कमला देवी हैरिस है और उनके नाम के मध्य में ‘देवी’ कैसे आया क्योंकि जब वह पैदा हुई थीं तो उनके जन्म प्रमाण पत्र में ‘‘अय्यर’’ उपनाम जुड़ा था। लेखक चिदानंद राजघट्टा ने अपनी पुस्तक ‘‘कमला हैरिस : फेनोमेनल वुमन’’ में ऐसी ही दिलचस्प बातों का खुलासा किया है। यह किताब इस महीने के आखिर में लोगों के बीच आएगी।

लेखक लिखते हैं कि जब कमला छोटी थीं तो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में हैरिस के माता-पिता करीबी मित्रों में अर्थशास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समकालीन लॉर्ड मेघनाद देसाई, अमर्त्य सेन और अजीत सिंह थे।

हैरिस (57) का जन्म 20 अक्टूबर 1964 को कैलिफोर्निया के ओकलैंड में हुआ था। उनकी मां श्यामला गोपालन एक पारंपरिक तमिल ब्राह्मण परिवार से थीं। वह 19 साल की उम्र में 1958 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में पोषण और एंडोक्रायोनोलॉजी का अध्ययन करने के लिए भारत से अमेरिका आ गयी । यहीं पर उनकी मुलाकात हैरिस के पिता डोनाल्ड हैरिस से हुई, जो ब्रिटिश जमैका के एक अफ्रीकी मूल के अमेरिकी थे।

हार्पर कोलिन्स इंडिया द्वारा प्रकाशित पुस्तक में राजघट्टा लिखते हैं कि हैरिस जब छोटी थीं तब डोनाल्ड ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में फेलोशिप के तहत पढ़ाई की।

पुस्तक हैरिस की मां के परिचय से शुरू होती है। लेखक के पिता लगभग उसी समय अमेरिका आए थे जब श्यामला गोपालन यहां आई थीं। राजघट्टा के पिता ने कंसास राज्य में कृषि और डेयरी विज्ञान का अध्ययन किया। लेखक ने बताया कि कहानी इतनी दिलचस्प थी कि हैरिस के बड़े होने, उनके जीवन और करियर का बयां करने में यह लंबी कथा बनती गई।

राजघट्टा ने कहा, ‘‘यह एक प्रकार की जीवनी है, लेकिन व्यापक दायरे में यह भारतवंशी-अमेरिकी समुदाय के इतिहास की पड़ताल करती है (जिनमें मिश्रित नस्ल के बच्चों में एक मैं भी हूं) और अश्वेत अमेरिकियों के साथ भारत के संबंध, जिसमें जॉर्ज वॉशिंगटन कार्वर, बुकर वाशिंगटन, और वेब डुबॉइस और महात्मा गांधी जैसे अश्वेत कार्यकर्ताओं के बीच आदान-प्रदान शामिल है। महात्मा गांधी के सहयोगी मेडेलीन स्लेड (मीराबाई) और चार्ली एंड्रयूज ने हावर्ड में व्याख्यान दिया, जिसने मार्टिन लूथर किंग जूनियर के पूर्व के नागरिक अधिकार कार्यकर्ता की पीढ़ी को प्रभावित किया।’’

तीन सौ से अधिक पृष्ठों वाली यह पुस्तक मताधिकार आंदोलन और महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व और प्रभुत्व में आने वाली बाधाओं को भी दर्शाती है। राजघट्टा ने किताब में लिखा है, ‘‘कमला के लिए खाना बनाना थेरेपी और कला दोनों है।’’

वह लिखते हैं, ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम पाक कला के साथ कमला के जुड़ाव की व्याख्या कैसे करते हैं, उनके उदय ने भारत के कुछ सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले खाद्य पदार्थों को ऐतिहासिक राजनीतिक परिदृश्य और मौखिक संस्कृति में शामिल किया है। इनमें से कुछ हैं, जैसे इडली और डोसा और भिंडी को दो तरह से पकाया जाता है जो कमला के बचपन की यादें रही हैं।’’

लेखक विदेशी संपादक और द टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में यूएस ब्यूरो के प्रमुख हैं, वह पुस्तक में लिखते हैं, ‘‘सारे सबूत बताते हैं कि कमला अमेरिकी इतिहास की सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली नेता होंगी।’’

भाषा सुरभि रंजन

रंजन

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)