शरीर में मौजूद रह गये वायरस रहे होंगे ‘लॉंग कोविड’ की वजह

शरीर में मौजूद रह गये वायरस रहे होंगे ‘लॉंग कोविड’ की वजह

शरीर में मौजूद रह गये वायरस रहे होंगे ‘लॉंग कोविड’  की वजह
Modified Date: June 10, 2023 / 08:05 pm IST
Published Date: June 10, 2023 8:05 pm IST

(स्टीफन केंट, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न एवं चांसवाथ फेत्ससौफान, किर्बी इंस्टीट्यूट, यूएनएसडब्ल्यू सिडनी)

मेलबर्न, 10 जून (द कन्वरसेशन) कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित होने के बाद ज्यादातर लोगों की जान बच गई और इस रोग से उबर गये, जबकि कुछ लोगों में इसके लक्षण महीनों से लेकर वर्षों तक रह सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि जब संक्रमण के लक्षण 12 हफ्ते से अधिक समय तक रहते हैं, तब इस स्थिति को ‘लॉंग कोविड’ के रूप में जाना जाता है।

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‘लॉंग कोविड’ के दौरान 200 से अधिक विभिन्न प्रकार के लक्षण पाये जाते हैं। इन लक्षणों का साक्ष्य आधारित उपचार करने के लिए हमें कारणों को समझने की जरूरत है। लॉंग कोविड से जुड़े हो सकने वाला एक कारक यह है कि शुरूआती संक्रमण के बाद वायरस शरीर के अंदर पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ होगा।

हम अन्य विषाणुओं के उदाहरण से यह जानते हैं कि ये विभिन्न उत्तकों में महीनों से लेकर वर्षों तक बरकरार रह सकते हैं। यह सार्स-कोवि-2 का कारण हो सकता है। यही वायरस कोविड के लिए जिम्मेदार है।

विज्ञान ने अब तक यह कहा है:

हरपसवायरस ( जैसे कि ग्रंथियों के बुखार के लिए जिम्मेदार एप्सटेन-बार वायरस) और एचआईवी (ह्यूमन इम्युनोडिफिसिएंसी वायरस) जीवन के लिए सुसुप्त अवस्था में पड़ा रहता है। इसका मतलब है कि वायरस कोशिकाओं के अंदर खुद को छिपा लेता है और निष्क्रिय रूप में रहता है।

खासतौर पर एचआईवी शरीर में संक्रमित कोशिकाओं में निष्क्रिय बना रह सकता है। निष्क्रिय बने रहने के बावजूद यह समस्या पैदा कर सकता है।

जीका और इबोला जैसे अन्य वायरस शुरूआती संक्रमण के बाद संक्रमित लोगों में महीनों या वर्षां तक पाये गये हैं। वायरस की यह मौजूदगी गंभीर रोग का कारण बन सकता है।

कई अध्ययनों में यह प्रदर्शित हुआ है कि कोविड एप्सटेन-बार वायरस को भी पुन:सक्रिय कर सकता है, जो सुसुप्त अवस्था में शरीर में पड़ा रहता है। शोधों में यह प्रदर्शित हुआ है कि लॉंग कोविड वाले लोगों में यह थकान के रूप में दिख सकता है और उनके सोचने या तर्क करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

हम कैसे जानेंगे कि कोविड शरीर के अंदर बरकरार है?

कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि उत्तकों और मल के नमूने में सार्स-कोवि-2 (आरएनए) और सार्स-कोवि-2 प्रोटीन के आनुवंशिक अनुक्रमण संक्रमण के बाद महीनों तक पाये गये हैं।

इन अध्ययनों में संक्रमित लोगों के कई शव परीक्षण रिपोर्ट शामिल हैं। सार्स-कोवि-2 आरएनए हृदय, लसीका ग्रंथि, आंख, मस्तिष्क और फेफड़े की कोशिका के कम से कम आधे नमूनों में पाये गये।

वहीं, जीवित रहे लोगों में विषाणु आरएनए संक्रमण के चार महीने बाद आंत की कोशिका में पाया गया। चार महीने पर इन मरीजों में कोविड के लक्षण नहीं थे और लार एवं नाक व गला से लिये नमूने में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई थी।

हाल के अध्ययनों में यह पता चला है कि कोविड का स्वास्थ्य पर न सिर्फ तत्काल प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली में दीर्घकालीक बदलाव भी शुरू कर सकता है।

यह पता लगाने के लिए कई परीक्षण जारी हैं कि पैक्सलोइड जैसे एंटीवायरल से ‘लॉंग कोविड’ का इलाज वायरल एंटीजेन को घटा सकता है, हालांकि यह अभी प्रायोगिक चरण में ही है।

(द कन्वरसेशन) सुभाष धीरज

धीरज


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