Union Minister Gajendra Shekhawat has been made in-charge of BJP for Punjab assembly elections.

अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर तालिबान की पसंद के अफगानिस्तान के लिया क्या है मायने?

अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर तालिबान की पसंद के अफगानिस्तान के लिया क्या है मायने?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:47 PM IST, Published Date : September 8, 2021/12:00 pm IST

स्टेट कॉलेज (अमेरिका), आठ सितंबर (द कन्वरसेशन) तालिबान ने सात सितंबर को घोषणा की कि मुल्ला हसन अखुंद को अफगानिस्तान का अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया जा रहा है।

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यह फैसला राजधानी काबुल समेत अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्सों पर चरमपंथी इस्लामी समूह के कब्जे के दो सप्ताह बाद आया है। द कन्वरसेशन ने पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में पश्चिम एशिया और इस्लाम के इतिहासकार, अली ए ओलोमी से जानना चाहा कि मुल्ला अखुंद कौन हैं और युद्ध से तबाह देश में मानवाधिकारों को लेकर चिंता के बीच उनकी नियुक्ति अफगानिस्तान के लिए क्या संकेत देती है।

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कौन हैं मुल्ला हसन अखुंद?

मुल्ला अखुंद तालिबान में एक दिलचस्प और रहस्यमय व्यक्ति हैं। 1990 के दशक में चरमपंथी समूह की स्थापना के बाद से वह अफगानिस्तान में एक प्रभावी व्यक्तित्व रहे हैं।

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लेकिन उस समय के अन्य तालिबान नेताओं के उलट, वह 1980 के दशक के सोवियत-अफगान युद्ध में शामिल नहीं रहे। तालिबान के संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर और उनके साथी सोवियत विरोधी अफगान लड़ाकों के अव्यवस्थित नेटवर्क-मुजाहिदीन के साथ लड़े थे लेकिन अखुंद उनमें शामिल नहीं थे।

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दरअसल, उन्हें तालिबान में धार्मिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति के तौर पर अधिक देखा जाता है। उन्होंने धार्मिक विद्वानों और मुल्लाओं (इस्लामी धर्मशास्त्र में प्रशिक्षित लोगों को दिया जाने वाला सम्मान) से बनी पारंपरिक निर्णय लेने वाली संस्था तालिबान की शूरा परिषदों में सेवा दी।

 

 

 
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