इस क्रिसमस आपको कुत्ते के साथ अधिक समय क्यों बिताना चाहिए

इस क्रिसमस आपको कुत्ते के साथ अधिक समय क्यों बिताना चाहिए

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  • Publish Date - December 21, 2025 / 05:07 PM IST,
    Updated On - December 21, 2025 / 05:07 PM IST

(पैनागियोटा ट्रैगैंटज़ोपोलू, यूनिवर्सिटी आफ वेस्टमिंस्टर)

वेस्टमिंस्टर, 21 दिसंबर (द कन्वरसेशन) जैसे-जैसे दिन छोटे होते जाते हैं और दिनचर्या की रफ्तार धीमी पड़ती है, बहुत-से लोग अपने मनोभाव और उत्साह में गिरावट महसूस करते हैं। क्रिसमस से पहले का समय खुशियों से भरा हुआ दिखाया जाता है, लेकिन कई घरों के लिए यह पारिवारिक तनाव और हैरान कर देने वाली अकेलेपन की भावना भी लेकर आता है। ऐसे माहौल में घर में एक कुत्ते को लाने का विचार आकर्षक लगना स्वाभाविक है।

मानव-पशु संबंधों पर किए गए अध्ययनों में एक सबसे लगातार सामने आने वाला निष्कर्ष यह है कि कुत्ते अक्सर भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। वर्ष 2025 के मेरे एक अध्ययन में पालतू जानवर रखने वाले लोगों ने बताया कि उन्हें ऐसा साथ महसूस होता है, जो इंसानी रिश्तों से अलग होता है। उन्होंने कुत्तों की घर में मौजूदगी को एक अच्छा एहसास बताया, जो रोजमर्रा की दिनचर्या, जीवन में उद्देश्य और भावनात्मक स्थिरता देता है।

कई प्रतिभागियों ने कहा कि जब कुत्ता साथ होता है, तो भावनाओं को व्यक्त करना आसान हो जाता है-चाहे वह खुशी हो, झुंझलाहट हो या उदासी। पास में बस एक ऐसा जीव होना, जो बिना किसी आलोचना के प्रतिक्रिया देता है, मुश्किल पलों को भी संभालना थोड़ा आसान बना देता है।

ये जरूरतें अक्सर सर्दियों में और बढ़ जाती हैं। कई लोगों के लिए यह समय जितना मौजूद लोगों की याद दिलाता है, उतना ही उन लोगों की भी, जो साथ नहीं हैं। भले ही कुत्ता इंसानी रिश्तों की जगह नहीं ले सकता, लेकिन एक साथी जानवर भावनात्मक उतार-चढ़ाव को कम तीव्र बना सकता है। दिसंबर जैसे कठिन महीने से गुजर रहे किसी व्यक्ति के लिए, कुत्ता ऐसे समय में एक स्थिर सहारा दे सकता है, जो भावनात्मक रूप से असमान भी हो सकता है।

इससे पशु-सहायता थेरेपी कार्यक्रमों और पपी योगा सत्रों जैसी पहलों की बढ़ती लोकप्रियता को समझने में मदद मिलती है, जहां लोग अपने नहीं, बल्कि दूसरे कुत्तों के साथ समय बिताते हैं। शोध से पता चलता है कि अनजान या थेरेपी कुत्तों के साथ थोड़े समय का संपर्क भी तनाव कम कर सकता है और मनोदशा बेहतर कर सकता है।

कुछ अध्ययनों में यह भी संकेत मिलता है कि कुत्ते अन्य साथी जानवरों की तुलना में तनाव को कम करने में खास तौर पर अधिक प्रभावी हो सकते हैं। संभवतः इसलिए कि वे इंसानी सामाजिक संकेतों पर जल्दी और बेहतर प्रतिक्रिया देते हैं। हालांकि ये अनुभव लंबे समय के साथ की जगह नहीं ले सकते, लेकिन वे शांति, जुड़ाव और दिनचर्या के छोटे-छोटे पल जरूर दे सकते हैं।

जो लोग कुत्ता पालने की जिम्मेदारी लेने में असमर्थ हैं या ऐसा नहीं करना चाहते, उनके लिए संपर्क के हल्के तरीके-जैसे किसी स्थानीय आश्रय स्थल में कुत्ते की अस्थायी रूप से देखभाल करना, किसी दोस्त के कुत्ते को टहलाना या बचाव संगठनों के साथ स्वयंसेवा करना-भी मानसिक लाभ दे सकते हैं।

कोविड लॉकडाउन के दौरान जिन लोगों का अपने कुत्तों से गहरा जुड़ाव था, उन्होंने अक्सर महसूस किए गए सामाजिक सहारे के स्तर को अधिक बताया। भले ही कुत्ता व्यावहारिक समस्याएं हल नहीं कर रहा था, फिर भी यह रिश्ता उस समय अकेलेपन की भावना को कम करता दिखा, जब सामान्य सामाजिक जीवन बाधित हो गया था।

(द कन्वरसेशन)

अमित दिलीप

दिलीप